ये कविता उन भाइयो को लिए जो शराब पी बर्बाद हो रहे है। काश उन्हें भी ये कविता पढ़ने का समय मिल पाता!!!!!!!!!!!!!!!!!!! पी जाते हो शराब हज़ारो की बस थोड़ा सा ख्याल रखना उन लाचारों की बोतल तोड़ फेंक न देना …
चला दगड़यों गांव मा मकान जो सूना छी ऊ थै अब घर हम बणौला खौंदार हुई वू कुड़्यो थै फिर से सजौला घर कु आँगन थै नौना बालो की किलक्वारी से गुंजौला चकबन्दी कु सैलाब अयु चा चला दगड़यों हम भी तौरी जौला। छोड़ी की…
कहानी मेरी कुछ अज़ीब होगी तुझसे शुरू है तुझपर ही ख़त्म होगी चाहता हूँ मैं तुझे किस कदर कैसे बताऊ तुझे ऐ मेरे हमसफ़र। गई गर तू मुझे छोड़कर तो देख लेना तुझसे पहले रुख़स्तगी मेरी होगी वहा भी राहो में फूल बिछ…
अक़्सर गाँव छोड़ चले आते है लोग शहर में ग़ुम हो जाते है चकाचौंध इस शहर में कहते है रोज़गार नही कोई गाँव में जिस ओर देखो बेरोज़गारी के बाज़ार लगे है शहर में कहते है शिक्षा का आभाव है गाँव में शिक्षा यहाँ भी…
दोस्तों आपने राजुला मलशाही की जो कथा पढ़ी आशा है आप लोगो को पसन्द आयी होगी। काफ़ी समय से मुझे इसके अगले भाग के लिए कई बार मेसेज आये लेकिन समयाभाव के कारण लिखने में असमर्थ था आज फिर से वक़्त…
न गंज्यलो की घम-घम च न जन्दरो कु घरड़ाट च चुल्लो मा भी आग नीच अब छन्यो मा भी कीला ज्यूड़ा नि रैनी अब पींडा कु तौलू भी सोचणु रैंदु कख गौड़ी भैस्यू कु जब्लाट च जै घासा का पैथर गाली खैएनी अब वे घास कटण्या …
मी तरसू वे पहाड़ खु, पहाड़ तरसू मीखु मीमा वक़्त नि वेमा जाणा कु, वो हिली नि सकदु मीमा आणा खु मी जांदू जब भी वेमा मी रुंदु छौ वो हैसांदु च तब भी दुःख अपणा लुकैकि आज ये पहाड़ की वा हालत करी च पीड़ा त हुन्दी…
हे प्रिये आज आठ वर्ष पूरे हुए हमारी शादी के राही जीवन के आज हम एक हुए ऐ मेरे हमसफ़र मैं तुमपर तुम मुझपर प्रेम अपना यू ही बनाये रखे अटूट विश्वास हम दोनों को इक दूज़े पर इसे हम यूँ ही कायम रखे आओ हम आशीष…
उत्तराखण्ड की व्यवस्था त जनि की तनि रैगी लेकिन मनखी भी अब तनि व्हैगी बात करा उत्तराखण्ड का भविष्य की पर छ्वि दानो की भी बालो जन रैगी हम छ्वि लगाणा उत्तराखण्ड कु विकास कनकै होलु अर वो क्रिकेट की बॉल ख…
आवा दगड़यों पहाड़ो थै शहर बणौला शहरी संस्कृति लेकिन पहाड़ो मा आण नि दयोला हमारू युवा पलायन न करो कुछ इन करुला पहाड़ी एक मिशाल बणी जौ काम इन करुला आवा दगड़यों पहाड़ो थै शहर बणौला शहरी संस्कृति लेकिन पहाड़ो म…
हिलिगे मेरु पहाड़, हे विकास तेरी आस मा खौंदार व्हेगेनि पहाड़ हमरा, हे विकास तेरी आस मा विनाश ही विनाश दिखेणु पहाड़ कु, हे विकास तेरी आस मा पर तू दिखेंदु नि छै, दूर तक कैकि आस मा घास लखडु सब हरचिगेनि, हे…
वक़्त भी बड़ा अज़ीब होता है, इसका मिलना कहाँ सबके नसीब होता है। जिसे क़द्र नही वक़्त की, उसके पास वक़्त ही वक़्त होता है। वक़्त का एहसास जिसे होता है, उम्रभर वक़्त के लिए वो रोता है। वक़्त कैसा भी हो अच्छा या …
आरक्षण आरक्षण इस चार एक छोटे से शब्द ने देश में आज भी भेद-भाव का माहौल बनाया हुआ है, इस स्थिति पर कुछ लाइन पेश कर रहा हु आशा करता हु इस कविता को गलत दिशा की ओर नही मोड़ा जायेगा और सभी को पसंद आएगी। मै…
मैं लिखता नही कलम चल जाती है शब्द बनाता नही अक्षर जुड़ जाते है कोशिश करता हूँ बहुत कुछ लिखने की ख़याल मुझे मेरे पहाड़ो की ओर ले जाते है राह कोई भी क्यों न देखु लेकिन रास्ते पहाड़ो में ही निकल आते है चाह …
खुदेड़ डाँडी काँठी या खुदेणी आज अपणो की आस मा कख होला मेरा अपणा कुई नि दिखेणु च पास मा बांजी पुंगड़ी खौंदार कूड़ी देखदा रुंदा यु पहाड़ो थै कीला ज्यूड़ा रमदा यख गोर-बछर…
आज के इस दिन की खुशिया तो मना रहे हो जरूर मनाओ लेकिन एक बार उन लोगो को जरूर याद कर लेना जिन्होंने इस दिन को बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। आज मेरे हिंदुस्तान में जाने कितने धर्म हो गए क…
वा संस्कृति क्या काम की जो इंसान की काम नि आई सको संस्कृति बचाण से क्या फ़ायदा जब इंसान मी बचै नि सकदु एक भाई रूणु च अर मी हैसणा की बात करदु इनी हैंसी कु क्या फ़ायदा जु कैकि रोयी नि बुथ्याई सको इन जवान…
आज वे पहाड़ की गाथा लिख कलम मेरी वू ढुंगो पर लगी चोट लिख कलम मेरी आज पहाड़ की वेदना लिख कलम मेरी यु बांजा पुंगड़ो की आस लिख कलम मेरी सूखा गदनो की प्यासी धरती की प्यास लिख कलम मेरी दानी आँख्यु की आस लिख …
मेरी कविता मेरी ज़ुबानी नौ मेरु अनोप सिंह नेगी(खुदेड़) जन्म दिल्ली प्रदेश मा लीनी (21 जुलाई 1984) पहली बार देवभूमि उत्तरखण्ड का दर्शन सन् 86 मा व्हेनि। बचपन बीती मेरु गाँव बजरखोड़ा। पट्टी - बिचला चौकोट,…
लिखुंगा कुछ ऐसे की दर्पण नया लेकिन परछाई पुरानी होगी। बदले चाहे ज़माने लेकिन मेरी कविताओं में बस पहाड़ो की कहानी होगी। जो बदल गए है, जो नही बदले है कोशिश उन्हें बदलने की होगी। पेड़ सूखकर भले ही दरख़्त हो…
बेबसी इंसान की वा हालात कैर दीन्द न त भूख लगदी न नींद। कख जी जौ, क्या जी करू, कनकै होलु रटण बस इखरी रैंद। जैका मुख मा नज़र जांद आश वेमा ही हूंद क्या पता वेमा ही कुई उपाय मिली जौ मन ई बुलन्द। राति का अ…
हे बुराँश आज तेरी भी कुई इज़्ज़त नि रै राज्य पुष्प व्हेकि भी तू बज़ारो मा बिकणु छै। जब तक तेरी कुई पूछ नि छै खुटो मुड़ मंदेणु रै आज पछ्याण तेरी बणिगि त लोगु का घरो मा सज्यू छै। आज गिलासु मा सज्यू छै जू ब…
याद वा पुराणि हैंसी त आंदी पर वो ख़ुशी नि मिल्दी, जो ख़ुशी तब मिल्दी छै जो हैंसी हम थै माँ-पिताजी हैसांदा छाया। हिटदु छौ मी लमडुदू भी छौ पर, अंगुली पकड़ी चलण सीखै जौ हाथुन आज भी वू हाथु थै थामी क…
भद्रेश्वर महादेव न मस्कार दोस्तों आज आपको ले चलते है, नंदा देवी पर्वत की ओर जहा बसते है भद्रेश्वर महादेव तो चलिए चलते है आज एक नई दिशा की ओर। भद्रेश्वर महादेव उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में इस सि…
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