हे बुराँश आज तेरी भी कुई इज़्ज़त नि रै
राज्य पुष्प व्हेकि भी तू बज़ारो मा बिकणु छै।
जब तक तेरी कुई पूछ नि छै खुटो मुड़ मंदेणु रै
आज पछ्याण तेरी बणिगि त लोगु का घरो मा सज्यू छै।
आज गिलासु मा सज्यू छै
जू ब्याली तक डाँडीयु मा खत्यु छै।
ते थै भी मिजाण आदत व्है ग्यायि गिलास बोतलु की
तभी तू अब डाँडी काँठीयूँ नि दिखेणु छै।
पर हे बुराँश तेरी खुद मा आज भी
यु "खुदेड़" खुदेणु च रे!
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
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