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Rajula Malushahi-2

          दोस्तों आपने राजुला मलशाही की जो कथा पढ़ी आशा है आप लोगो को पसन्द आयी होगी।
काफ़ी समय से मुझे इसके अगले भाग के लिए कई बार मेसेज आये लेकिन समयाभाव के कारण लिखने में असमर्थ था आज फिर से वक़्त मिला तो फिर से लिखना शुरू किया है दोस्तों आइये तो चलते है इस सत्य प्रेम कथा के अगले भाग में और जानिए फिर क्या होता है, जब राजुला पहुच जाती है बिंदिया स्यर में
अब राजुला बिंदिया स्यर में पहुच जाती है किसी तरह और वहा जब राजुला पर कहैड़ कोट के राजा कउआ के सेवक भगुवा की नज़र पड़ती है तो राजुला के सौंदर्य को देख वो चक्कर खा गिर पड़ता है। और फिर वो सोचता है की काश ये मेरे मालिक की रानी हो जाती और तत्पश्चात वो कउआ के पास जाता है अब कउआ के बारे में।
            दिखने में कैसा था छह बेटो का बाप 9 नाती पोते और हालात कुछ ऐसे जैसे जिसकी आँखों की पलके भी नाक तक झूल रही थी काख ऐसे जैसे किसी चिड़िया का घोसला हो।
           अब कउआ बिंदिया स्यार में जाता है लेकिन उसकी नज़र राजुला को देख ही नही पाती तब भगुआ उसकी पलकों को अपने हाथो से हटाता है तब कहि जाकर उसकी नज़र राजुला पर पड़ती है। अब कउआ भगुआ से कहता है कि इसको पकड़कर मेरे हाथ पर दे और भगुवा राजुला को उसके सुपुर्द कर देता है।
अब कहता है भगुआ से की सुन मेरी बात बिंदिया स्यार मैं तेरे नाम कर रहा हूँ लेकिन तू इस बारे में मेरे बेटो को कुछ न बताना मेरे बारे में तू किसी को न बताना आज से इन स्यारो(खेतो) को तू ही खाना कमाना।
अब कउआ राजुला को लेकर भटकोट के जंगलो के रास्ते चल पड़ता है और फिर राजुला को एक गुफ़ा की अंदर ले जाता है।
             गुफ़ा को पूरा बंद कर देता है और बस एक छोटी सी खिड़की ही उसमे छोड़ता है। राजुला संग परिवार बसाने की सोच के साथ राजुला से कहता है कि जब हमारे बच्चे होंगे तो उन्हें हम इसी गुफ़ा में पालेंगे अपने दिनों को हम ऐसे ही काट लेंगे।
राजुला उसकी बातो को सुन फिर से अपने इष्टो को पुकारती है की हे देवताओ ये कैसी मुसीबत मुझपर आ गयी है कैसे मैं अपने पतिव्रता धर्म को निभाऊ, कैसे अब मैं मालुशाही से मिल पाउंगी।
        दूसरी ओर जब कउआ के बेटे नाती पोते घर पहुचते है तो उसे जगह पर न देख उन्हें चिंता होने लगती है। सोचते है की शायद भगुआ को पता होगा उससे पूछते है तो भगुआ कहता है कि मैं बता तो दुंगा लेकिन पहले एक बात ध्यान से सुन लो बिंदिया स्यार वो मेरे नाम कर गए है। इसपर वो लोग कहते है तू रख लेकिन तू हमे हमारे पिताजी का पता बता दे बस।
तब वो बताता है की यहाँ एक स्त्री आयी थी जिसके पीछे मालिक दीवाना हो गए है वो दोनों भटकोट के जंगल की ओर गए है। वही खोज़लेन वही कही होंगे।
इतना सुनते ही बेटे पोते सभी खोजने निकल पड़ते है, खोजते खोजते बीथी पहुँच जाते है अब बेटे पूछते है की बाज्यू(पिताजी) ये आप कहा पहुँच गए हो। राजुला पर जब उनकी नज़रे पड़ती है तो बेटे पोतो को चक्कर आ जाता है।
           कउआ कहता है बेटा प्रणाम करो एक बार राजुला की ओर इशारा करते हुए पोतो को कहता है एक बार आमा(दादी)को पैलाक(प्रणाम) कर दो तब बेटे और पोते कहते है हम नही करेंगे। और इसे अब हम लेकर जायेंगे। कहते है दो सौ चालीस के लगभग हो गयी है उम्र और अब कह रहे हो ब्याह करने की चलो बाहर आओ। कउआ को गुस्सा आता है और वो बाहर आ जाता है। बेटे पोते मिलकर कउआ को मारने लगते है मार मार कर कमर तोड़ देते है।
अब रणजीत तलवार देते हुए कहता है की मेरी गर्दन काट दो और भैंसिया मुरुली मेरे मुख लगा देना। गर्दन काट देते है कउआ का स्वर्गवास हो जाता है।
राजुला के कारण वो लाश नही उठाते है , बेटे कहते है हम ब्याहेंगे और पोते कहते है हम ब्याहेंगे। अब वो आपस में बात करते है और कहते है की पहले बूढ़े को अग्नि दे आते है और जो पहले पहुँचेगा वो ही राजुला से ब्याह करेगा। आग लगाकर कउआ को छोड़ देते है और दौड़ लगाते है दौड़ते-दौड़ते तब पहुचते है वो गुफ़ा में वहा राजुला को न पाकर परेशान होते है खोजते है लेकिन नही मिलती तो फिर घर वापस लौट जाते है।
घर पहुँचकर वो बकरा काटते है पूरिया बनती है लेकिन कउवा को अधजला ही छोड़ आते है। मुह पर लगी भैंसिया मुरुली सुन भैंसे नागुलि भागुलि आती है।
अपने अधजले मालिक को देख भैसो के आँखों में आंसू आ जाते है, अब कौन करेगा हमारा पालन पोषण ऐसा ऐसा सोचने लगती है। कैसे तेरे हाथो से परात भर के खाते थे आटा के गोले झुंगरा(एक उत्तराखण्डी भोजन) के डले। भैंसे उसे गंगा में धकेल देते है और गंगा भी उसे एक तरफ कर देती है और भैसो से कहती है कि ये बहुत बड़ा पापी है तभी तो बेटो ने इसे ऐसे मारा, निराश हो भैंसे बीथी वापस लौट जाती है।

क्रमशः
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अनोप सिंह नेगी (खुदेड़)
9716959339

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