Top Header Ad

Banner 6

Bhadreshwar Mahadev भद्रेश्वर महादेव

भद्रेश्वर महादेव
मस्कार दोस्तों आज आपको ले चलते है, नंदा देवी पर्वत की ओर जहा बसते है भद्रेश्वर महादेव तो चलिए चलते है आज एक नई दिशा की ओर।

भद्रेश्वर महादेव
      उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में इस सिद्धपीठ भद्रेश्वर शिवलिंग केजलाभिषेक से पुत्र दाई प्रत्यक्ष प्रमाण सदियों से प्रचलित है।
      इस स्थान के पूर्व में आसमान को छूते नंदादेवी पर्वत, जिसे पार्वती जी का स्वरुप भी कहा जाता है, दिखाई देता है। कहा जाता है कि बड़ागाँव ग्राम में किसी व्यक्ति के पास कपिला गाय थी, कपिला गाय ने जब पहली बार एक बछड़े को जन्म दिया और ११(ग्यारह) दिनों तक प्रयाप्त दूध देकर अपने मालिक को प्रसन्न करती रही। परन्तु बारहवें दिन से गाय ने सायंकाल से दूध देना बंद कर दिया।  मालिक को शक हुआ कि कोई अन्य व्यक्ति गाय का दूध दूह लेता है, मालिक गाय पर नज़र रखने लगा और हमेशा की तरह गाय चराने वन ले गया अचानक उसकी नज़र गाय पर पड़ी उसने देखा गाय भद्रेश्वर महादेव के लिंग पर खड़ी होकर भगवान आशुतोष का अभिषेक कर रही है। जैसे ही वह शिवलिंग तोड़ने को तैयार हुआ तभी एक आवाज़ आई “अपनी गाय को खूंटे से बाँधो” तभी से गायों को खूंटे से बाँधने का प्रचलन शुरू हुआ।  
यह स्थान बद्रिकाश्रम(ज्योतिर्मठ) जोशीमठ से मल्लारी-नीथी मोटर मार्ग पर ७(सात) किलोमीटर, बड़ागाँव ग्राम में है। यह स्थान सदियों से तपस्वियों का साधना स्थल रहा है। यहाँ आज भी कई सुन्दर गुफ़ाए भी मौजूद है १९वीं सदी के शुरुआत में उत्तराखण्ड के महान संत गुदड़ी बाबा की यह साधना तपस्थली रही है गुदड़ी बाबा कहा करते थे “यह भद्रेश्वर महादेव जी का सिद्धपीठ स्थान है, शीघ्र ही कोई संत इस स्थान का जीर्णोद्धार कराएगा “ गुदड़ी बाबा के तप, साधना तथा प्रेरणा के चमत्कारी करिश्मे अब देखने को मिलते है दो बंगाली संतो ने इस सिद्धपीठ को अपना साधना स्थल बनाया।  
      निरंजन अखाड़े के स्वामी गणेश भारती, रामकृष्ण मिशन के स्वामी सिंग्धानंद पुरी महाराज इन्ही संतो की सत्प्रययों के सान्निध्य में देहरादून निवासी श्रीराम कुमार अग्रवाल ने सन १९९३ में शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। सावन के पूरे महीने में दूर-दूर से शिव-भक्त जलाभिषेक करने आते है।  
      यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्यता से भी अति सुशोभित है, सामने पूर्व में सदा हिमाच्छादित धारण किये हुए नंदादेवी शिखर चाँदनी रात में दर्शको का मन विभोर लेती है।
वर्तमान में इन्ही दो बंगाली संतो के सद्प्रयास से भद्रेश्वर महादेव आश्रम में भविश्यबद्री दर्शनार्थी संतो का भारी संख्या में आवागमन रहता है। जिन्हें प्राय: भोजन और रात्रि विश्राम की भी सुविधा इन शिव भक्त संतो द्वारा संचालित हुआ करता है। हर धार्मिक पर्व पर अनुष्ठान, कीर्तन, भजन-कथा का आयोजन तथा भंडारा इन्ही संतो द्वारा किया जाता है।
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)



एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

यदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026