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Hathiya Dewal Ek Abhishapt Devalaya हथिया देवाल एक अभिशप्त देवालय

एक अद्भुत रहस्य

हथिया देवाल एक अभिशप्त देवालय को नौ च। यो सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) का कस्बा थल बटि लगभग छः किलोमीटर दूर ग्राम सभा बल्तिर मा प्वड़द। ये देवालय का विषय मा किंवदंती च कि ये गौं मा एक मूर्तिकार रैंदु छौ, जु पत्थरों तैं काट-काटी की मूर्तियाँ बणये कर्दू छौ। एक बार कै दुर्घटना मा वेकू एक हाथ खराब ह्वेगे। अब वो मूर्तिकार एक हाथ का सहारळा ही मूर्तियों तैं बणांद चांदु छौ, पणु गांव का कुछ लोगों ना वै तैं यो उलाहना देण शुरू कैर द्या कि अब एक हाथ का सहारन वो क्या कर साकोलु,लगभग सर्या गाँव बटि एक जन् उलाहना सुण-सुणी मूर्तिकार खिन्न ह्वेग्या। वेन प्रण कैर ल्या कि वो अब वे गाँव मा नी रालु अर वख बटि कखि और चल जालु। यो प्रण कना बाद वो एक रात अपणी छेणी, हथौड़ी अर अन्य औजारों तैं लेकि गाँव का दक्षिणी छोर की तरफ  निकल ग्या। गाँव का दक्षिणी छोर पर खास कैकि गांव वळा शौच आदि का वास्ता उपयोग मा लांदा छा। वख
एक विशाल चट्टान छै।अगला दिन सुबेर का टैम मा जब गाँववासी शौच आदि का वास्ता वीं दिशा मा गैनि त् देखि अंचम्भित रै गेनि कि कि कैन रात भर मा चट्टान तैं काटी की एक देवालय को रूप दे द्या। कौतूहल से सबू का आँखा फट्यां रै गेनि। सर्या गाँववासी वख एकत्रित ह्वेनि, पण वो कारीगर नी आई जैकु एक हाथ कटयों छौ। सब्या गाँववालों न गाँव मा जैकि वेतैंे ढूँढी अर आपस मा एक-दूसरा से वेका बारम पूछी, पण मूर्तिकारऽ बारम् कुछ बि पता नि चल साकी। वो एक हाथ को कारीगर गाँव छोडि़ जा चुकगे छौ।  जब स्थानीय पंडितोंन् वे देवालय का भित्र उकरयां भगवान शंकर का लिंग अर मूर्ति तैं देखि त् यो पता चलि कि रात्रि मा शीघ्रता से बणये जाण का वजै से शिवलिंग को अरघा विपरीत दिशा मा बणगे, जैकि पूजा फलदायक नी होलि बल्कि दोषपूर्ण मूर्ति को पूजन अनिष्टकारक बि ह्वे सकद। येका ही चलद रातों रात स्थापित हुयां वे मंदिर मा विराजमान शिवलिंग की पूजा नी करे जांद। समणा ही बण्यां जल सरोवर मा, जै खुण स्थानीय भाषा मा ‘नौला’ ब्वले जांद, मुंडन आदि संस्कार का टैम पर बच्चों तैं स्नान करये जांद।

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