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शराब हज़ारो की

ये कविता उन भाइयो को लिए जो शराब पी बर्बाद हो रहे है। काश उन्हें भी ये कविता पढ़ने का समय मिल पाता!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

पी जाते हो शराब हज़ारो की
बस थोड़ा सा ख्याल रखना उन लाचारों की
बोतल तोड़ फेंक न देना रहो में
चुभ जाते है टुकड़े किसी के पांव में

टूटी बोतल देख भी कोई मायूस होता है
क्योंकि आठ आने की बोतल में भी उसका परिवार पलता है
जिन बोतलों को खाली कर तुम घर बर्बाद करते हो
कोई उन बोतलों के सहारे घर अपना आबाद कर रहा होता है

जिस बोतल के लिए मंगलसूत्र पत्नी का तुमने बेच दिया
उसी बोतल को उठा किसी ने जीवन का शुरुआत किया
जिस बोतल के लिए तुमने परिवार अपना छोड़ दिया
उसी बोतल से किसी ने अपना परिवार जोड़ लिया

नशा तो दोनों को है इस बोतल का
बस फ़र्क़ इतना ही है
एक नशे में राह पकड़ रहा है
और एक राह से भटक रहा है

अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)

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