चला दगड़यों गांव मा मकान जो सूना छी
ऊ थै अब घर हम बणौला
खौंदार हुई वू कुड़्यो थै फिर से सजौला
घर कु आँगन थै नौना बालो की किलक्वारी से गुंजौला
चकबन्दी कु सैलाब अयु चा
चला दगड़यों हम भी तौरी जौला।
छोड़ी की ये मोल की हवा पाणी थै
घर बौड़ी शुद्ध हवा पाणी कु आनन्द उठौला
अंजान यु शहरो थै छोड़ी की
गाँव गल्यो मा फिर से मेल जोल बढ़ोला
चकबन्दी कु सैलाब अयु चा
चला दगड़यों हम भी तौरी जौला।
हैल दंदला का लाठो थै फिर से बणौला
हरच्या वू निसुड़ो थै फिर से खुज्यौला
आ हे पहाड़ का वंशज पहाड़ी
चल एक बार फिर से वे पहाड़ थै बचौला
चकबन्दी कु सैलाब अयु चा
चला दगड़यों हम भी तौरी जौला।
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
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