वक़्त भी बड़ा अज़ीब होता है,
इसका मिलना कहाँ सबके नसीब होता है।
जिसे क़द्र नही वक़्त की,
उसके पास वक़्त ही वक़्त होता है।
वक़्त का एहसास जिसे होता है,
उम्रभर वक़्त के लिए वो रोता है।
वक़्त कैसा भी हो अच्छा या बुरा,
समझौता इससे कर लेना ही अच्छा होता है।
वक़्त बदले या न बदले ऐ "खुदेड़" हमें बदलना ही होता है।
वक़्त भी बड़ा अज़ीब होता है,
इसका मिलना कहाँ सबके नसीब होता है।
वक़्त के आगे इंसान भी कितना मजबूर होता है,
क्योंकि वक़्त के संग न चलना ही उसका कसूर होता है।
उम्र कट जाती है वक़्त के इंतज़ार में,
वक़्त लेकिन आकर निकल भी जाता है।
वक़्त भी बड़ा अज़ीब होता है,
इसका मिलना कहाँ सबके नसीब होता है।
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