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कलम मेरी

आज वे पहाड़ की गाथा लिख कलम मेरी
वू ढुंगो पर लगी चोट लिख कलम मेरी

आज पहाड़ की वेदना लिख कलम मेरी
यु बांजा पुंगड़ो की आस लिख कलम मेरी

सूखा गदनो की प्यासी धरती की प्यास लिख कलम मेरी
दानी आँख्यु की आस लिख कलम मेरी

कैकि खुद मा बीती सारी रात लिख कलम मेरी
आंदारा जांदरो मा मेरु रैबार लिख कलम मेरी

बग्वाली का भैलो की आग लिख कलम मेरी
रुआँसी माँ की हर एक साँस लिख कलम मेरी

हैल लगांद आंदी छौ ज्वा खैरी आज लिख कलम मेरी
ब्यो बारात मा स्याल्यु की गाली आज लिख कलम मेरी
पहाड़ की याद मा इनी मिठास लिख कलम मेरी
एक बार जु चाखि ल्यो फिन कभी न भूलो कुछ खास लिख कलम मेरी

बोल्दु का गालो मा खांकर कु गणमणाट लिख कलम मेरी
पंदेरो मा पंदेन्यु की छुयु कु गुमणाट लिख कलम मेरी

याद ऐ जा मेरा खुदेड़ भाइयो थै खुदेड़ डाँडी काँठी की
कुछ इन बात लिख कलम मेरी

अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
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