सागर के दोहे........... १- तू-तू , मैं-मैं हो रही, भारत माँ है मौन । नेता कुर्सी को लड़ें , देश बचाये कौन ।। २- रक्षक गाली खा रहे, सिर …
सागर के दोहे.......... (१) एक भले कानून पर, करते हैं गुमराह । हित साधन फैला रहे , झूठ-मूठ अफवाह ।। (२) नेता ही करवा र…
सागर के दोहे.......... (विविध) १- रखते हैं उर में सदा, माया का जंजाल। उर को रीता राखिए, आयेंगे गोपाल।। २- जग में ऐसे भागते , …
सागर के दोहे.......... मित्रता १- पावन है माँ भारती, पावन इसकी भोर। पथ दर्शाती है सदा , थामे सबकी डोर ।। २- किससे रिपुता मैं करूँ, …
सागर के दोहे.............. (कोरोना) १- कोरोना से डर नहीं, तुझमें बैठा देव । हाथों को धोना सदा , खाना मेवा,सेव ।। २- गया यान ले चाँद पर, …
सागर के दोहे...... घर में बैठो यार......... १- कहीं न अतिशय हो यहाँ, कोरोना की मार । चुप से कुछ दिन के लिए, घर में बैठो यार ।। २- कहीं न मच जा…
सागर के दोहे......... ( मैं और तू ) १- मैं नित मैं रटता रहा , तू ही था सब ओर । अब जाना मैं कुछ नहीं , तू ही थामे डोर ।। २- मैं तो रीता सा घड़ा ,…
सागर के दोहे............ १- अभी दूरियाँ हैं भलीं, नजदीकी अभिशाप । ऐकाकीपन में रहो , करलो पूजा, जाप ।। २- हाँ निकटता है बुरी, दूरी…
दोहावली कोरोना-काल गर्वित होते शीश अब, ज्ञान नयन को खोल। वाणी में विष क्यों घुले, तोलमोल कर बोल।। हस्ती आदम की देखिये,झुके हुये सब भाल। लघु कोरोना ला गया,कैसा संकट काल।। शहर सभी सूने हुये…
सागर के दोहे.............. १- मेरी माँ वागेश्वरी, गीतों में रस घोल । माँ तेरी कृपा मिले, हो रचना का मोल ।। २- अक्षर तेरे ज्ञानदा, …
रोशन की कलम से--------- =========== कर्तव्य और मर्यादा विमुख जब, इंसानियत ताक पर रखी जाती। जीवन के हर कदम कदम पर, मानवता खुद में फरियादी लगती।।51 कीड़े मकोड़ों सी हो गयी जिंदगी, …
रोशन की कलम से------ =========== आराम हराम की आदतों से, लूट खसोट की सोच हावी होती। नजर गरीबों की झोली पर, बस लुटेरों की दुनियां सजती।40 शोहदों के वहसीयत के नी…
रोशन की कलम से-------- =============================================== क्या मिला माया से इस जग में, कभी प्यार और कभी दुत्कार। हल नहीं छल इस चक्रब्यूह में, सिर्फ यहां सजा पीड़ा दर…
मेरे दोहे 1-मक्खी ढूँढे गन्दगी,अलि ढूँढे मधुपान | ढूँढे से दोनों मिलें,अपना-अपना ग्यान || 2-ब्रह्म घड़ी में जो उठे,वो पाये आनन्द | सागर ऊषा में खुलैं,हरि द्वार जो बन्द || 3-माँ की ह…
नन्दन राणा के दोहे मन मन्दिर दीपक जले,आयें शुद्ध विचार। अंजुलि में गंगा बहे,जायें सागर पार।। मन-मकरंद का मधु बने,दिशि चहुँ हो व्यापार। एक छत्ते के मधुप सभी,करें सबका सत्कार।। तिनका-तिनका…
डा०विद्यासागर कापड़ी के दोहे १-घन तू बैरी हो गया, पिय तो हैं परदेश । उमड़-घुमड़ तू गगन में, खोल रहा है केश।। २-घन तू होके बावरा , …
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