सागर के दोहे..............
(कोरोना)
१- कोरोना से डर नहीं,
तुझमें बैठा देव ।
हाथों को धोना सदा ,
खाना मेवा,सेव ।।
२- गया यान ले चाँद पर,
आज हुआ भयभीत ।
होगी तेरी एक दिन ,
कोरोना से जीत ।।
३- पड़ी जगत की रीढ़ पर,
कोरोना की मार ।
छोटे से इस जीव ने ,
किया यहाँ अधिकार ।।
४- उर के बल को साथ ले ,
क्यूँ होता भयभीत ।
थोड़े दिन का खेल है,
तू जायेगा जीत ।।
५- तू भारत का पूत है,
कुछ तो है रे भेद ।
कर गिलोय का पान तू ,
कहता आयुर्वेद ।।
६- शिव के गण को मारता,
हुआ तभी यह हाल ।
साँप,छछूंदर खा रहा,
रूठे हैं महाकाल ।।
७- अरे मनुज तू मान ले,
अपना शाकाहार ।
कीट पतंगैं खा रहा ,
होगा हाहाकार ।।
८- हाथ जोड़ना तो सदा,
भारत की है शान ।
इससे कोरोना हटे,
लिया जगत ने मान ।।
९- खाँसी, सर्दी को नहीं,
तू कोरोना मान ।
साँसैं घुटती सी लगे,
तब होगी पहिचान ।।
१०- हाथों को धोना सदा,
छूता क्यूँ नित आँख ।
कोरोना के काट ले,
साबुन से तू पाँख ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
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