सागर के दोहे.......... (१) एक भले कानून पर, करते हैं गुमराह । हित साधन फैला रहे , झूठ-मूठ अफवाह ।। (२) नेता ही करवा र…
सागर के दोहे.......... (विविध) १- रखते हैं उर में सदा, माया का जंजाल। उर को रीता राखिए, आयेंगे गोपाल।। २- जग में ऐसे भागते , …
सागर के दोहे.......... मित्रता १- पावन है माँ भारती, पावन इसकी भोर। पथ दर्शाती है सदा , थामे सबकी डोर ।। २- किससे रिपुता मैं करूँ, …
सागर के दोहे.............. (कोरोना) १- कोरोना से डर नहीं, तुझमें बैठा देव । हाथों को धोना सदा , खाना मेवा,सेव ।। २- गया यान ले चाँद पर, …
सागर के दोहे.............. १- जनता कर्फ्यू से जुड़ें , आगामी रविवार । निश्चित होगी जानिये , कोरोना की हार ।। २- कुछ दिन सब जन रोकिए, …
सागर के दोहे...... घर में बैठो यार......... १- कहीं न अतिशय हो यहाँ, कोरोना की मार । चुप से कुछ दिन के लिए, घर में बैठो यार ।। २- कहीं न मच जा…
सागर के दोहे......... ( मैं और तू ) १- मैं नित मैं रटता रहा , तू ही था सब ओर । अब जाना मैं कुछ नहीं , तू ही थामे डोर ।। २- मैं तो रीता सा घड़ा ,…
सागर के दोहे............ १- अभी दूरियाँ हैं भलीं, नजदीकी अभिशाप । ऐकाकीपन में रहो , करलो पूजा, जाप ।। २- हाँ निकटता है बुरी, दूरी…
सागर के दोहे............ १- हँसकर मेरे गाँव का, कहता फूल बुराँस । आयेगी रे लालिमा , रखना उर में आस ।। २- बूढ़े , बालक साथ में, करते भो…
मेरे दोहे 1-मक्खी ढूँढे गन्दगी,अलि ढूँढे मधुपान | ढूँढे से दोनों मिलें,अपना-अपना ग्यान || 2-ब्रह्म घड़ी में जो उठे,वो पाये आनन्द | सागर ऊषा में खुलैं,हरि द्वार जो बन्द || 3-माँ की ह…
डा०विद्यासागर कापड़ी के दोहे १-घन तू बैरी हो गया, पिय तो हैं परदेश । उमड़-घुमड़ तू गगन में, खोल रहा है केश।। २-घन तू होके बावरा , …
मेरे दोहे 1-कौन देखता घन यहाँ ,कौन झूलता डाल | धन की गठरी बाँधते ,बुनते सब जंजाल || 2-घन ही तो करते यहाँ ,धरणी का श्रिंगार | मुस्काते हैं खेत सब ,हँसती वट की डार || 3-घन की चादर ओढ़कर…
मेरे दोहे 1-बनी रहे नित आपके ,अधरों पर मुस्कान | नित रसना करती रहे,केशव का गुणगान || 2-ऐक दिया भी तम गहन ,देता है नित चीर | ऐक मनुज यदि ठान ले ,खींचे नई लकीर || 3-खाली धरती ना रहे ,लगे…
कुछ दोहे 1-बहुतेरे पग खींचते, दूजा बढ़ता देख | सागर कहिए क्या भला, एेसी जड़ता देख || 2-मोदी के कायल हुये,सकल जगत के देश | भारत का भाने लगा, सबको ही परिवेश || 3-सकल जगत में हो रहा, भा…
मेरे दोहे 1-पथ में मित्र अमित्र का, कब रहता है भान | जब पग में काँटा चुभे ,तब होती पहचान || 2-जो माँ देती अन्न को, जो देती है नीर | जो उसको गाली करे, तन को डालो चीर || 3-कब तक सैनिक…
चौमासी दोहे 1-वृक्ष धरा की साँस हैं,जीवन के हैं मूल | इनको जो है काटता , करता भारी भूल || 2-यदि तुम काटो एक वृक्ष ,दस को देना रोप | होगा प्रलय अन्यथा , होगा भू पर कोप || 3-खूब लगान…
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