कंगनी, काकनी, कौणी Foxtail मिलेट
एक ऐसी फसल जो लगभग धरती से समाप्त हो चुकी है यदि इसके प्रति हम लोगो मे जागरूकता होती, तो शायद आज इसकी ऐसी हालत देखने को नही मिलती। यू तो हम पेट भरने के लिए स्वाद के लिए मार्किट में उपलब्ध कई खाद्य पदार्थो को खाते है। यदि मार्किट में कुछ नया आता है तो उसे एक बार जरूर ट्राय करते है। लेकिन ऐसी पौष्टिक खानपान की वस्तुओं को अक्सर शक की नजरों से देखते है कि पता नही इसके कोई साइड इफ़ेक्ट न हो कुछ गलत न हो जाये। लेकिन यदि यही चीज़ यदि मार्किट में इसकी साधारण अवस्था के बदले किसी आकर्षक पैकेट में बंद मील उसपर एक्सपायरी लिखी हो चाहे वो दुबारा रिपैक ही क्यों न कि गयी हो, उसके पौष्टिक गुणों को निकालकर क्यो न हमारे आगे परोसा जाए हम बहुत जल्द उसपर भरोसा कर लेते है। इसका उदाहरण होर्लिक्स जैसे चीजे है, जिसमे मूंगफली से उसके सारे पौष्टिक गुण निकालकर उसकी खली हमारे बीच खूब परोसी जाती है। यदि मूंगफली सीधे खाने को बोला जाए और कोई सड़क किनारे बेच रहा हो तो हम उसे शक भरी निगाहों से देखते है कि पता नही ठीक है या नही है, ऐसे बहुत से विचार मन मे उठते है। चलिए अब बात करते है आज की ऐसी फसल की जो लगभग पूर्ण रूप से विलुप्त हो गयी है।
जी दोस्तो जो लोग गाँव मे रहे होंगे उन्होंने इसका भोजन भी खूब किया होगा लेकिन इसको खाने का नशीब भी उन्ही का रहा है जो लगभग 1998 के पहले गाँव मे रहे होंगे। जी दोस्तो आज का विषय है कौणी इसकी विश्व मे लगभग 100 से अधिक प्रजातीया उपलब्ध है। foxtail millet जिसे वैज्ञानिक भाषा मे Setaria Italica के नाम से जाना जाता है। posceae कुल का पौधा है। कौणी का भारत मे प्रसिद्ध नाम कंगनी या टांगुन है। चीनी बाजार के नाम से भी कौणी को जाना जाता है। और इसे भारत मे अनेको नामो से जाना जाता है जैसे:-
जी दोस्तो जो लोग गाँव मे रहे होंगे उन्होंने इसका भोजन भी खूब किया होगा लेकिन इसको खाने का नशीब भी उन्ही का रहा है जो लगभग 1998 के पहले गाँव मे रहे होंगे। जी दोस्तो आज का विषय है कौणी इसकी विश्व मे लगभग 100 से अधिक प्रजातीया उपलब्ध है। foxtail millet जिसे वैज्ञानिक भाषा मे Setaria Italica के नाम से जाना जाता है। posceae कुल का पौधा है। कौणी का भारत मे प्रसिद्ध नाम कंगनी या टांगुन है। चीनी बाजार के नाम से भी कौणी को जाना जाता है। और इसे भारत मे अनेको नामो से जाना जाता है जैसे:-
हिन्दी -- कंगनी, कांकुन, टांगुन
संस्कृत -- कंगनी, प्रियंगु, कंगुक, सुकुमार, अस्थिसंबन्धन:
अंग्रेजी -- फॉक्सटेल मिलेट, इटालियन मिलेट
मराठी -- कांग, काऊन, राल
गुजराती -- कांग
बंगाली -- काऊन, काकनी, कानिधान, कांगनी दाना
तमिलनाड़ू -- तिनी
संस्कृत -- कंगनी, प्रियंगु, कंगुक, सुकुमार, अस्थिसंबन्धन:
अंग्रेजी -- फॉक्सटेल मिलेट, इटालियन मिलेट
मराठी -- कांग, काऊन, राल
गुजराती -- कांग
बंगाली -- काऊन, काकनी, कानिधान, कांगनी दाना
तमिलनाड़ू -- तिनी
कौणी बहुत ही प्राचीन फसलो में से एक है, इसका इतिहास चीन में लगभग 5000 वर्ष ईसा पूर्व का है और यूरोप में 3000 वर्ष ईसा पूर्व का इतिहास पाया जाता है।
कौणी भारत के अलावा रूस, यूरोप, अफ्रीका, चीन, अमेरिका में भी उत्पादित किया जाता है। इन देशों में इसकी व्यावसायिक खेती भी की जाती है।
कौणी की खेती उत्तराखण्ड में बहुत ही कम हो चुकी है, पहले इसकी खेती पशुओ के लिए भी की जाती थी क्योंकि कौणी पशुओ के लिए भी बहुत पौष्टिक होती है। दक्षिण भारत और छत्तीसगढ़ में कौणी को प्रमुख फसल के रूप में उगाया जाता है और यहाँ इसका भोजन भी किया जाता है। छत्तीसगढ़ में कौणी का उपयोग कई रोगों के उपचार हेतु भी किया जाता है जैसे, हड्डियों में सूजन व कमजोरी के लिये, अतिसार जैसे रोगों में कौणी फायदेमंद साबित हुई है। कौणी मिट्टी को बांधे रखने में भी काफी सक्षम पायी गयी है।
अब बात करते है कौणी में विद्यमान पौष्टिक गुणों की, जहा तक कौणी की पौष्टिकता की बात करे तो इसमें अनेको गुण पाए जाते है जो कौणी को अन्य millet से पृथक करते है। कौणी वीटा कैरोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है। कौणी में Alkaloid, Flavonoid, Phenolics, Tannins के अलावा Starch 57.57 mg Carbohydrates 67.68 mg, कैल्सियम 3.0 gm, iron 2.8 gm, Phosphorus 3.0 3.0mg प्रति ग्राम पाए जाते है। इसमें protein 13.81%, फाइबर 35.2%, fat 4.0% पाये जाते है। कौणी में low glycimic भी उपलब्ध है। कौणी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को 70% तक कर देता है। कौणी में एमिनो अम्ल जैसे Lysine 233 mg, Methionine 296 mg, Tryptophan 103 mg, Phenylalanine 708 mg, thereonine 328 mg, Leucine 1764 mg, व Valine 728 mg प्रति 100 ग्राम तक पाये जाते है।
कौणी का आटा काफी पौष्टिक होता है, यही कारण है कि विश्वभर में इसका उपयोग बेकरी के उत्पाद तैयार कएने में काफी अद्गीक किया जाता है। चीन के अलावा कई देशों में इससे ब्रेड, चिप्स, व बेबी फ़ूड बनाये जाते है। इसका उपयोग बियर, सिरका, व एल्कोहल बनाने में भी किया जाता है। कौणी के अंकुरित बीजो का उपयोग चीन में सब्जी के रूप में खूब किया जाता है। कौणी से तैयार ब्रेड में पौष्टिकता, रंग, हार्डनेस, और स्वाद काफी बेहतर पाया जाता है। आज भारत मे कौणी का उत्पादन काफी कम हो चुका है यदि इसे भारत मे भी बेकरी के उद्योग से जोड़ दिया जाए तो, इससे आर्थिकी को और किसानों को काफी फायदा हो सकता है। विश्व मे चीन कौणी उत्पादन में प्रमुख है। कौणी विश्व बाजार में 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कौणी भी रागी की ही तरह सूखा सहन करने की क्षमता रखता है।
कौणी के उपयोग और इसके फायदे और पौष्टिकता के बारे में शायद ही कोई जानता हो, मैं भी इनकी पौष्टिकता के बारे में इतनी जानकारी नही रखता लेकिन यह जानकारिया आज के इंटरनेट के समय मे निकालना बहुत मुश्किल नही है। यही से मैं डॉ. राजेन्द्र डोभाल जी के लेखों को पढ़ने के बाद अपना लेख लिखता हूं और कुछ अन्य ब्लॉग या वेबसाइटो से। हमने तो इन चीजों का उपयोग बचपन मे खूब किया है लेकिन आज के समय मे देखना भी मुश्किल होता है। फिर भी हम कोशिश करते है कि हम ऐसे अनाज, खाद्य पदार्थो और औषधिय गुणों से भरपूर वनस्पति को आप लोग तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे है। ताकि आप लोग इन्हें उपयोग में लाए और किसानों को भी मदद मिल सके। यदि आप इन वस्तुओं को लेना चाहते है तो अभी हम दिल्ली के द्वारका, नजफगढ़, सगपुर, जनकपुरी, विकासपुरी, पालम, डाबड़ी मोहन गार्डन आदि स्थानों तक पहुचा रहे है और यदि ऑर्डर की क्वांटिटी उचित हो तो दिल्ली एनसीआर में भी उपलब्ध करा रहे है। यदि आप इन वस्तुओं को लेना चाहते है तो आप हमें इन नंबरों पर सम्पर्क कर सकते है।
शंकर ढोंडियाल 9891431840
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़) 9716959339
यदि आपको लेख पसंद आया हो तो अपने साथियों के संग जरूर सांझा करे।
कौणी भारत के अलावा रूस, यूरोप, अफ्रीका, चीन, अमेरिका में भी उत्पादित किया जाता है। इन देशों में इसकी व्यावसायिक खेती भी की जाती है।
कौणी की खेती उत्तराखण्ड में बहुत ही कम हो चुकी है, पहले इसकी खेती पशुओ के लिए भी की जाती थी क्योंकि कौणी पशुओ के लिए भी बहुत पौष्टिक होती है। दक्षिण भारत और छत्तीसगढ़ में कौणी को प्रमुख फसल के रूप में उगाया जाता है और यहाँ इसका भोजन भी किया जाता है। छत्तीसगढ़ में कौणी का उपयोग कई रोगों के उपचार हेतु भी किया जाता है जैसे, हड्डियों में सूजन व कमजोरी के लिये, अतिसार जैसे रोगों में कौणी फायदेमंद साबित हुई है। कौणी मिट्टी को बांधे रखने में भी काफी सक्षम पायी गयी है।
अब बात करते है कौणी में विद्यमान पौष्टिक गुणों की, जहा तक कौणी की पौष्टिकता की बात करे तो इसमें अनेको गुण पाए जाते है जो कौणी को अन्य millet से पृथक करते है। कौणी वीटा कैरोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है। कौणी में Alkaloid, Flavonoid, Phenolics, Tannins के अलावा Starch 57.57 mg Carbohydrates 67.68 mg, कैल्सियम 3.0 gm, iron 2.8 gm, Phosphorus 3.0 3.0mg प्रति ग्राम पाए जाते है। इसमें protein 13.81%, फाइबर 35.2%, fat 4.0% पाये जाते है। कौणी में low glycimic भी उपलब्ध है। कौणी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को 70% तक कर देता है। कौणी में एमिनो अम्ल जैसे Lysine 233 mg, Methionine 296 mg, Tryptophan 103 mg, Phenylalanine 708 mg, thereonine 328 mg, Leucine 1764 mg, व Valine 728 mg प्रति 100 ग्राम तक पाये जाते है।
कौणी का आटा काफी पौष्टिक होता है, यही कारण है कि विश्वभर में इसका उपयोग बेकरी के उत्पाद तैयार कएने में काफी अद्गीक किया जाता है। चीन के अलावा कई देशों में इससे ब्रेड, चिप्स, व बेबी फ़ूड बनाये जाते है। इसका उपयोग बियर, सिरका, व एल्कोहल बनाने में भी किया जाता है। कौणी के अंकुरित बीजो का उपयोग चीन में सब्जी के रूप में खूब किया जाता है। कौणी से तैयार ब्रेड में पौष्टिकता, रंग, हार्डनेस, और स्वाद काफी बेहतर पाया जाता है। आज भारत मे कौणी का उत्पादन काफी कम हो चुका है यदि इसे भारत मे भी बेकरी के उद्योग से जोड़ दिया जाए तो, इससे आर्थिकी को और किसानों को काफी फायदा हो सकता है। विश्व मे चीन कौणी उत्पादन में प्रमुख है। कौणी विश्व बाजार में 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कौणी भी रागी की ही तरह सूखा सहन करने की क्षमता रखता है।
कौणी के उपयोग और इसके फायदे और पौष्टिकता के बारे में शायद ही कोई जानता हो, मैं भी इनकी पौष्टिकता के बारे में इतनी जानकारी नही रखता लेकिन यह जानकारिया आज के इंटरनेट के समय मे निकालना बहुत मुश्किल नही है। यही से मैं डॉ. राजेन्द्र डोभाल जी के लेखों को पढ़ने के बाद अपना लेख लिखता हूं और कुछ अन्य ब्लॉग या वेबसाइटो से। हमने तो इन चीजों का उपयोग बचपन मे खूब किया है लेकिन आज के समय मे देखना भी मुश्किल होता है। फिर भी हम कोशिश करते है कि हम ऐसे अनाज, खाद्य पदार्थो और औषधिय गुणों से भरपूर वनस्पति को आप लोग तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे है। ताकि आप लोग इन्हें उपयोग में लाए और किसानों को भी मदद मिल सके। यदि आप इन वस्तुओं को लेना चाहते है तो अभी हम दिल्ली के द्वारका, नजफगढ़, सगपुर, जनकपुरी, विकासपुरी, पालम, डाबड़ी मोहन गार्डन आदि स्थानों तक पहुचा रहे है और यदि ऑर्डर की क्वांटिटी उचित हो तो दिल्ली एनसीआर में भी उपलब्ध करा रहे है। यदि आप इन वस्तुओं को लेना चाहते है तो आप हमें इन नंबरों पर सम्पर्क कर सकते है।
शंकर ढोंडियाल 9891431840
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़) 9716959339
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अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339
9716959339
4 टिप्पणियाँ
कांगणी रोग अवरोधक है. हमारे शरीर को बिमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है. यह बलवर्धक है. सुपाच्य है. शरीर के तंतुओं और हडियों को मजबूत करती है. दीर्घायु प्रदान करती है
जवाब देंहटाएं93187502ग7
जवाब देंहटाएंIska khet me lagane ka kon sa time hota he 9329898557
जवाब देंहटाएंकंगनी अनाज के बारें में अच्छी जानकारी दी है। एक ही लेख में सम्पूर्ण जानकारी दी है। इसे भी देख सकते है कंगनी अनाज
जवाब देंहटाएंयदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026