सागर के दोहे..........
(१)
एक भले कानून पर,
करते हैं गुमराह ।
हित साधन फैला रहे ,
झूठ-मूठ अफवाह ।।
(२)
नेता ही करवा रहे,
आग, तोड़ या फोड़ ।
सब दंगों के साथ हैं,
उनके ही गठजोड़।।
(३)
बहकावे में आ रहे,
सीधे-सादे लोग ।
नेताओं को दिख रहा,
दंगों में भी योग ।।
(४)
कल होगा दंगा कहाँ ,
नेता सोचें आज ।
ऐसे ही तो कर रहे,
सालों से ये राज ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
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