मेरे दोहे
1-मक्खी ढूँढे गन्दगी,अलि ढूँढे मधुपान |ढूँढे से दोनों मिलें,अपना-अपना ग्यान ||

2-ब्रह्म घड़ी में जो उठे,वो पाये आनन्द |
सागर ऊषा में खुलैं,हरि द्वार जो बन्द ||
3-माँ की हर आशीष में,कोटि यग्य का सार |
सागर की हर पीड़ तो, आशीषों से क्षार ||
4-सदा साथ रख लीजिए,मातु चरण की धूल |
सागर पथ के शूल भी,बन जायेंगे फूल ||
5-माँ को दु:ख ना दीजिए,आता है संताप |
सागर माँ हँसती रहे,कट जाते सब पाप ||
6-बिन अँधियारा होकहाँ,उजियारे का भान |
सागर तम बिन ही मिला,किसे विजय का गान ||
7-फिर-फिर फिरता जगत में,मन तू सदा निपंग |
सागर नाम जपा नहीं,किया नहीं सत्संग ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
1 टिप्पणियाँ
बहुत ही शानदार
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