Top Header Ad

Banner 6

Dr. Vidhyasagar Kapri Ke Dohe Part 1 डा. विद्यासागर कापड़ी के दोहे भाग 1

   चौमासी दोहे


1-वृक्ष धरा की साँस हैं,जीवन के हैं मूल |
  इनको जो है काटता , करता भारी भूल ||
Dr. Vidhyasagar Kapri Ke Dohe Part

2-यदि तुम काटो एक वृक्ष ,दस को देना रोप |
  होगा प्रलय अन्यथा , होगा भू पर कोप ||

3-खूब लगाना पेड़ तुम ,आये जब चौमास  |
  नित ही तब करती रहे ,यह धरती परिहास ||

4-हरियाला प्रदेश हो ,नदी भरे किलकार |
  दोनों ही इस देश के ,जीवन के आधार ||

5-रूख बिना पानी कहाँ ,पानी बिन नहिं धान |
  करले बन्दे पेड़ में ,जीवन की पहिचान ||


©डाoविद्यासागर कापड़ी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ