चौमासी दोहे
1-वृक्ष धरा की साँस हैं,जीवन के हैं मूल |
इनको जो है काटता , करता भारी भूल ||
2-यदि तुम काटो एक वृक्ष ,दस को देना रोप |
होगा प्रलय अन्यथा , होगा भू पर कोप ||
3-खूब लगाना पेड़ तुम ,आये जब चौमास |
नित ही तब करती रहे ,यह धरती परिहास ||
4-हरियाला प्रदेश हो ,नदी भरे किलकार |
दोनों ही इस देश के ,जीवन के आधार ||
5-रूख बिना पानी कहाँ ,पानी बिन नहिं धान |
करले बन्दे पेड़ में ,जीवन की पहिचान ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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