सागर के दोहे......
घर में बैठो यार.........
१- कहीं न अतिशय हो यहाँ,

चुप से कुछ दिन के लिए,
घर में बैठो यार ।।
२- कहीं न मच जाये यहाँ ,
देखो हाहाकार ।
भारत के हित घर रहो ,
कुछ दिन मेरे यार ।।
३- बहुत जरूरी हो,धरो,
घर के बाहर पाँव ।
बाहर जाकर चल रहे,
क्यूँ अपने पर दाँव ।।
४- बहुत बड़ा शैतान है ,
बैठो घर में यार ।
बाहर जा फैला रहे ,
क्यूँ इसका संसार ।।
५ -भीतर ही रह बांवरे,
इत-उत तू मत घूम ।
न जाने कब कोरोना,
लेगा तुझको चूम ।।
६ -थोड़े दिन घर में रहो,
मन में रखो उमंग ।
कोरोना से कल सभी,
जीतेंगे मिल जंग ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
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