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Dr. Vidhyasagar Kapri Ke Dohe Part 4 डॉ. विद्यासागर कापड़ी के दोहे भाग 4

 मेरे दोहे

Dr. Vidhyasagar Kapri Ke Dohe Part 1-बनी रहे नित आपके ,अधरों पर मुस्कान |
   नित रसना करती रहे,केशव का गुणगान ||

2-ऐक दिया भी तम गहन ,देता है नित चीर |
  ऐक मनुज यदि ठान ले ,खींचे नई लकीर ||

3-खाली धरती ना रहे ,लगे वटों की माल |
  धारे हों जीवित सभी ,भर जायें सब खाल ||

4-कब तक बाधायें कहो ,रोकेंगी पदचाल |
   मन में धीरज राखिये ,मुड़ जायेंगे व्याल ||


©डाoविद्यासागर कापड़ी

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