मेरे दोहे
1-बनी रहे नित आपके ,अधरों पर मुस्कान |नित रसना करती रहे,केशव का गुणगान ||
2-ऐक दिया भी तम गहन ,देता है नित चीर |
ऐक मनुज यदि ठान ले ,खींचे नई लकीर ||
3-खाली धरती ना रहे ,लगे वटों की माल |
धारे हों जीवित सभी ,भर जायें सब खाल ||
4-कब तक बाधायें कहो ,रोकेंगी पदचाल |
मन में धीरज राखिये ,मुड़ जायेंगे व्याल ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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