गीत प्रेम के गाते हैं
तम को हरने आओ मिलकर,
छोटा दीप जलाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
यह तन तो माटी का पगले ,
माटी में मिल जायेगा |
आज सिला है सूट सलोना,
कभी कफन सिल जायेगा ||
चलो सभी को मीत बनाकर,
सबके उर बस जाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
किसी और की कभी हार में,
अपनी जीत न खोजो तुम |
उर जीता यदि किसी और का,
विजय हुई यह सोचो तुम ||
यही वेद में सार छिपा है,
यह पथ ही अपनाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
बोल सको तो मधुर बोल दो,
स्नेह कलमी हो सकता |
रसना से निकले शब्दों से,
हृदय छलनी हो सकता ||
मधुर भाष की खाँड घोलकर,
आओ प्रीत सजाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
शूल चुभा जो पथ में चलते,
किसी और के पाँवों में |
मत बन जाना नमक मिर्च तुम,
उसके रिसते घावों में ||
कह सकते यदि कह देना तुम,
आओ दवा लगाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
तम को हरने आओ मिलकर,
छोटा दीप जलाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
22-6-2017
तम को हरने आओ मिलकर,
छोटा दीप जलाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
यह तन तो माटी का पगले ,
माटी में मिल जायेगा |
आज सिला है सूट सलोना,
कभी कफन सिल जायेगा ||
चलो सभी को मीत बनाकर,
सबके उर बस जाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
किसी और की कभी हार में,
अपनी जीत न खोजो तुम |
उर जीता यदि किसी और का,
विजय हुई यह सोचो तुम ||
यही वेद में सार छिपा है,
यह पथ ही अपनाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
बोल सको तो मधुर बोल दो,
स्नेह कलमी हो सकता |
रसना से निकले शब्दों से,
हृदय छलनी हो सकता ||
मधुर भाष की खाँड घोलकर,
आओ प्रीत सजाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
शूल चुभा जो पथ में चलते,
किसी और के पाँवों में |
मत बन जाना नमक मिर्च तुम,
उसके रिसते घावों में ||
कह सकते यदि कह देना तुम,
आओ दवा लगाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
तम को हरने आओ मिलकर,
छोटा दीप जलाते हैं |
उर की कटुता का भंजन कर,
गीत प्रेम के गाते हैं ||
हम गीत प्रेम के गाते हैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
22-6-2017
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