भट्टक डुबुक( कुमाउँनी भाषा)
सौमान
एक ब्याल भट्ट
एक चमच जिर
पांच क्वास लासणक
थोड़ हरीं धणि
तीन हरीं खुश्याण
एक मुट्ठी चावों (लटपट हुण लिजि)
लूँण सवादक हिसाबेल
रात भर भट्ट भिगे लियो। रत्ते भलीचार ध्वे भेर सिल में मिश्यूण कें पिस लियो। विके दगड़ लासण, हरीं धणि, जिर, खुश्याण ले पिस लियो। अब लुआक भदै में मथोल जाणे पाण भर भेर उमावने लीजि धर दियो। जब उमाव ऐ जाल तो विमे पिसी हुई भट्ट हौर लूँण डाल दियो। अब चावों ले ध्वे भेर डाल दिया। डाढ़ लगातार हलाते रवो ताकि गुठयाल नि पड़ जावो। उमाव ऊण दिया। अब ढाक लगा भेर आधु घण्ट मिश्यूंण आग में पकाते रवो जब जाणे डुबुक बकव नि है जवो। ध्यान राखिया कि ढाक पुर झन लगाया, किलेकि उमाव दगड़ डुबक भैर फोगी जाल। भात, पयो दगड़ भलो सवाद लागूँ डुबुक। हरीं चटण दगड़ ले खाई जनि डुबुक।
नोट- डुबुक उत्तराखंडक घर- घर खई जाण वाल खास डिश छू। भौते सवाद हुनि। जतु प्रोटीन सोयाबीन में हुन्छ, उतुक भट्ट में ले हुनि ये लिजि यकेँ ब्लैक बींस ले कुनि। डुबुकेक तासीर ठंडी हुन्छ ये लिजी पीलिया में फायदेमंद हुनि।
सुमीता प्रवीण
मुंबई
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