मेरे दोहे
1-पथ में मित्र अमित्र का, कब रहता है भान |जब पग में काँटा चुभे ,तब होती पहचान ||
2-जो माँ देती अन्न को, जो देती है नीर |
जो उसको गाली करे, तन को डालो चीर ||
3-कब तक सैनिक के यहाँ, बँधे रहेंगे हाथ |
कहो सीमा पार करो, काटो धड़ से माथ ||
4-माँ का आँचल ओढ़कर, रहते जो गद्दार |
थामो तुम तलवार को, करो उदर पर वार ||
5-छुपकर हैं रहते कई, आस्तीन के साँप |
भारत माँ ममतामई ,सहती सारे ताप ||
6-खाते भारत भूमि का,कहते पाकिस्तान |
उनका सीना चीरकर ,भेजो कब्रिस्तान ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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