सागर के दोहे............
१- अभी दूरियाँ हैं भलीं,
![Dr. Vidhyasagar Kapri Ke Dohe डॉ. विद्यासागर कापड़ी के दोहे Dr. Vidhyasagar Kapri Ke Dohe डॉ. विद्यासागर कापड़ी के दोहे](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzAm6Cb54sqTE-8cgKKvwuivlpaU5CT4pszZ60tiVTBJXoP6mWHLrHPJMuULjGRYDgLCdlnmnOSWOj5yNM_0gM8G-MzBAaQsZD1F2r1atk9T7CsLKIfjkcN9xlUfuYtdiOAwl6YmCtqdc/s400/Dr.-Vidhyasagar-Kapri-ke-Dohe.png)
ऐकाकीपन में रहो ,
करलो पूजा, जाप ।।
२- हाँ निकटता है बुरी,
दूरी है वरदान ।
बाहर चलना मौत है ,
छाया में घर ,जान ।।
३- अभी गमन ही मौत है,
घर रहना वरदान ।
यह शिव का आदेश है,
मानवता हित मान ।।
४- आज लड़ाई जीत ले,
फिर घूमेगा यार ।
घर में रहना है भला ,
उर से कर स्वीकार ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
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