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Nandan Rana Ke Dohe 2 नन्दन राणा के दोहे 2

दोहावली कोरोना-काल


Nandan Rana Ke Dohe नन्दन राणा के दोहे
गर्वित होते शीश अब, ज्ञान नयन को खोल।
वाणी में विष क्यों घुले, तोलमोल कर बोल।।

हस्ती आदम की देखिये,झुके हुये सब भाल।
लघु कोरोना ला गया,कैसा संकट काल।।

शहर सभी सूने हुये, बन्द हुआ व्यापार।
घर बैठे हैं लोग सब,और न कारोबार।।

अकुलाते हैं जन कहीं, करती भूख बेहाल।
बेबस दिखते राष्ट्र हैं, काटें कैसे जाल।।

नाहीं सजी सेना कहीं, न अस्त्र किये तैयार।
अरमाँ धरे सबके रहे, दुश्मन हो या यार।

विपदा की है ये घड़ी, त्रस्त हुआ संसार।
काम न आयी संपदा, छोड़ गयी मझधार।।

महल हवेली कह रही, तुम जाओ सरकार।
अंत समय सब खो रहे, छूट रहा परिवार।।

सीख अनोखी दे गया, कोरोना का काल।
रोको अंधी दौड़ को, कर लो धीमी चाल।।

सादा जीवन जी रहे, संस्कृति हुई बलवान।
मिल बाँट खाते लोग हैं, निर्धन या धनवान।।

बैर मुनासिब अब नहीं, कुदरत कहती बात।
इक ख़ाक से गढ़े हुए, सबकी एक ही ज़ात।।

अहम जब भी तेरा बढ़े, होगा ऐसा वार।
सृष्टि विनाशक चेत जा, दोधारी तलवार।।

रंग-नस्ल को छोड़िये, लाओ न मजहब बीच।
कोरोना निरपेक्ष है, धरम न देखे नीच।।

मुट्ठी से मुट्ठी मिले, बच जाये सबका नीड़।
अस्थियाँ बच जायेंगी, रह जाये गर रीढ़।।

सुन विनती घर में रहो, सृजन करो नूतन।
देशहित में आ तप करें, मदद का करें चलन।।

जिता रहे रणबाँकुरे,अपनी नहीं परवाह।
करें नमन उनको सभी, बढ़ जाये उत्साह।

भूखों को हम अन्न दें,राजा को सहयोग।
शांत चित्त को हम करें, हो नित योग-नियोग।।

अपनापन बढ़ जायेगा, होंगे इस क्षण दूर।
स्वच्छता ही उपाय है,जा कोरोना क्रूर।।

जीना मानव सीख ले, तू कुदरत के संग।
जीव सभी अनमोल हैं, हैं कुदरत के अंग।।

सम्मान देना सीख ले, पादप हो या जीव।
इन बिन तेरा मोल नहीं, है तू फिर निर्जीव।।

सर्वाधिकार सुरक्षित-नन्दन राणा

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