Top Header Ad

Banner 6

Hari हरी..................

Hari हरीहरी..................

जो तुम हो कृपानिधि तो अब ,
  झट से आकर नेह जताओ हरी ।
राह न सूझत है नर को जी ,
तुम ही आकर राह बताओ हरी ।।

आवन कह आये नहीं तुम ,
अब सच कर बात दिखाओ हरी।।
भूल गयो नर नेह की भाषा ,
अब आकर तुम ही सिखाओ हरी।।

खाई थी जो तुमने सौं हरी जी,
उस सौं की अब लाज बचाओ हरी।
डूबती है तरणि धरती की,
इसको आकर पार लगाओ हरी ।।

    ©डा० विद्यासागर कापड़ी
           सर्वाधिकार सुरक्षित

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ