सागर के दोहे..............
१- मेरी माँ वागेश्वरी,
गीतों में रस घोल ।
माँ तेरी कृपा मिले,
हो रचना का मोल ।।
२- अक्षर तेरे ज्ञानदा,
तेरे ही हैं गीत ।
शब्दों से तू खेलती,
होती मेरी जीत ।।
३- जगत सुदामा बन गया,
लेता तेरा नाम ।
महाविपति में है घिरा ,
कहाँ छुपे हो श्याम।।
४- अभी टूटना शेष है,
कोरोना का जाल ।
पग बाहर धरना नहीं ,
छुपकर बैठा काल ।।
५- बनवारी जो जी करे ,
दे दे मेरे नाथ ।
शपथ यही बस लीजिये ,
दोगे पल-पल साथ ।।
६- ले बनवारी छोड़ दी,
सागर में निज नाव ।
डोर तुम्हारे हाथ में ,
मिल जायेगी ठाँव ।।
७- छोड़ दिया माधव सुनो,
सागर में जलयान ।
किया भरोसा देख लो,
अपना तुमको मान ।।
८- जग में सब अनजान हैं ,
तुमसे है पहचान ।।
तुझ पर मेरा नेह है ,
रखना इसका मान ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
1 टिप्पणियाँ
बहुत ही शानदार
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