आज त्वै सरा देश याद करना बौडा त्वै बिना देश सरा खुदयांणा च बौडा गली मोहलों मा आज तेरी जयजयकार बौडा अंग्रेजु तै देश बिटी तीनी निकाली बौडा देशभक्ति कु पाठ देश तै त्वैन सिखाई बौडा रातों रा…
वा त्यार बान दिनभर भुख तीस बैठीं च सांकी सुकी ग्या बिचरी क गली तीसन उबयीं च हथ्यूं मां मेहंदी रचैकी श्रृंगार खुब कर्युं च त्यार बान दादा बौ बिगरेली ब्योंली बंणी च जरा भी फिकर ह्वैल…
रावण तु आज बल जग जगा फूंक्यांणा होली परबात फिर कखी न कखी टुपली पैरीक पैदा ह्वे जैली कु मारी सकदु दीदा त्वै बाहुबली मनखी तै परबात भ्रष्टाचार बणी की तु फिर पैदा ह्वै जैली पैली त्यार …
हैंसदी रै ख्यल्दी रै, टिकुली बिंदुली चमकदी रै, मुंड मा सिंदूर तेरो, फूलु सी डाली हैंसदी रै। द्वी हथी चुडयुं न भरै, हतेली मा मेहंदी रचदी रैन, नाक मा फुल की चमक, खुट्य माुं पैजीब बज…
टुटदी तिबरी,उजड्यू खण्ड, क्या इलै ही मांग उत्तराखण्ड? लोग परदेशों मा बस्या, रयु क्या वे उत्तराखण्ड? खाणी-सीणी परदेशों मा, पिकनिक खुणि उत्तराखण्ड? धुरपालि की पाल टुटी, देली मा कंडली जमी, फेसबुक मा स्ट…
ये कविता सुदेश भट्ट "दगड्या" जी की अपने ननिहाल गांव डिवरण (देवराना ) पर समर्पित है जरूर पढ़े......... रौंत्यालु उल्यारु दीदों, हपार भग्यान गांव च। मेरी ब्वै कु मैत प्यारु, मेरी नन्युं गांव…
ऊचु पहाड़ बण्युचा मंदिर तेरु माँ ऊचु पहाड़ बण्युचा मंदिर तेरु माँ दर्शनों खु तेरा माता भक्त आया छा दर्शनों खु तेरा माता भक्त आया छा ऊचु पहाड़ बण्युचा मंदिर तेरु माँ ऊचु पहाड़ बण्युचा मंदिर bतेरु माँ दर्श…
पंछियों का गुनगुनाना पेड़ों की छाँव है हिमायल की गोद में बसा ओ मेरा गाँव है, गांव गाँव मंदिर सजे हैं घर घर में राम है हिमालय मुकुट जिसका गंगायमुना शान है हिमालय की गोदी में बसा ओ मेरा गाँव है, वीर वीर…
कसम छन भयुं तुम कुणै यैंसु क साल बार त्योहारु मा नी खरींदण बरै मैड ईन चैना कु माल हमरी खैकी यु हमतै यी डमणु च हमर पैसों न बम ग्वाला पाकिस्तान भिजंणु च यैंसु की बग्वल्युं मा दीदों बैर्युं तै जतांण च उ…
शब्दों की माया ========== शब्दों कु भी अपड़ू एक जग जहाँन छः !! शब्द ही एक ब्यक्तित्व की पहचान छः !! शब्द ही पड़े जांदन मनख्यों की मनोदशा मनख़्यों की हंशी ख़ुशी और जीवन ब्यथा !! शब्द ही जग़ह देन्द…
चलो बेटे-बेटी का अंतर मिटाये, चलो दोनो को समान शिक्षा दिलाये। चलो बेटे को इस लायक बनाये, दहेज के लिय वो हाथ न फैलाये। चलो बेटी को इस काबिल बनाये, दहेज की बेदी पर जलायी न जाये। चलो मिलकर हम आवाज अब उठ…
भाई सुदेश भट्ट "दगड्या" जी की वीररस भरी कविता जो सरहद पर तैनात सैनिको को समर्पित है। या आऊंगा ओढ तिरंगा, या फहरा कर आऊंगा, दुश्मन का तोड़कर बंकर, रण जीतकर आऊंगा। अंतिम डग पग और सांस तक, दुश्…
मित्रो इस बार आप सब से अनुरोध है चाइना की लड़ियों का बहिष्कार करे, उन गरीब मजदूरो के बारे मे सोचे जो रात भर जागकर मिट्टी के दीये बनाते है। इस दीवाली दीपो से रोशन करे घर आँगन को . इसी विषय पर मेरी(रामे…
भाई सुदेश भट्ट "दगड्या" द्वारा रचित एक कविता जिसमे उन्होंने स्वर्गीय श्री चन्द्रसिंह राही को अपने शब्दों में श्रद्धांजलि दी। कन निर्मोही ह्वे तु हे बिधाता आज राही जी तै लीगी तु रुवाणा छन सा…
नमस्कार दोस्तों आज एक नयी अभिव्यक्ति से आपको परिचय करवा रहा हूँ ये ऐसे व्यक्तित्व के धनि है शायद जो परिचय के मोहताज़ नही इनकी लेखनी ही इनकी सबसे बड़ी पहचान है। कभी-कभी कुछ अजीब हो जाता है उन अजीब घटनाओ…
दोस्तों आज बहुत दिनों बाद किसी के बारे में लिखने का मन हुआ आज मैं ऐसी शख्सियत के बारे में लिख रहा हूँ जिनका आज जन्मदिन है। लगभग तीन वर्ष पूर्व मैं मैं इन महान व्यक्तित्व से जुड़ा जिनका नाम है पर्वतारो…
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