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विजया पंत तुली

दोस्तों आज बहुत दिनों बाद किसी के बारे में लिखने का मन हुआ आज मैं ऐसी शख्सियत के बारे में लिख रहा हूँ जिनका आज जन्मदिन है।
लगभग तीन वर्ष पूर्व मैं मैं इन महान व्यक्तित्व से जुड़ा जिनका नाम है पर्वतारोही विजया पंत तुली फिर समय बीतता गया और मैं इनके बारे में जानने लगा। इतना पता था कि आप एक पर्वतारोही है लेकिन इतनी खास भी है ये पता न था। जब आपके बारे में पढ़ना शुरू किया सोशल साईट से जानकारी मिलने लगी तब मालुम हुआ की विजया जी एक ऐसी पर्वतारोही है जिन्होंने यहाँ तक पहुचने के सोची भी नहीं थी लेकिन आज एक सफल पर्वतारोही है।
अपने कॉलेज जीवन में आप स्पोर्ट्स चैंपियन भी रही हैं। यही से आपके जीवन में एक अहम मोड़ आया यही से आपको आपके पारिवारिक मित्र सुंदरलाल बहुगुणा जी ने आपको पर्वतारोहण में जाने का निमन्त्रण दिया और अपने उनके इस निमन्त्रण को स्वीकार कर उसपर खरी भी उतरी। उन्होंने ही आपके माता पिता को भी इसके लिए मनाया और आप लग गयी अपने सपनो को साकार करने में। आप उन्ही महान पर्वतारोही के सानिध्य में रही जिन्होंने भारत को महिला पर्वतारोही के रूप में पहचान दिलाई जिन्हें देश का हर नागरिक बखूबी जानता है। मैं बात कर रहा हूँ श्रीमती बछेन्द्री पाल जी की जो सर्वप्रथम एवरेस्ट पर फतेह पाने वाली पहली महिला रही।
परिवारक जीवन कुछ ऐसा था की माता पिता आपके दोनों ही शिक्षक होने के कारण दोनों ही अलग रहते थे, क्योकि उनकी पोस्टिंग अलग थी आप पिताजी के साथ ही रहती थी। आप एक साधारण किन्तु उच्च परिवार से है। आप पढाई के साथ साथ घर के कार्यो को भी करती थी।
आप उत्तरकाशी कॉलेज की पहली महिला हो जो पर्वतारोहण के लिए गयी। शुरुआत में तो आप एक शिक्षक परिवार से होने के कारण एक शिक्षक ही बनना चाहती थी, किन्तु आप पहाड़ो को भी नाप लेना चाहती थी तो आप पूर्ण रूप से ट्रैकिंग पर ही समर्पित हो गयी।
इसके लिए आप नए कई तरह के प्रशिक्षण प्राप्त किये।
उत्तरकाशी के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से प्राथमिक प्रशिक्षण ट्रेकिंग व पर्वतारोहण में लिया, इसी क्षेत्र में आपने एक एडवांस कोर्स भी इसी संस्थान से किया, जम्मू और कश्मीर के गुलमर्ग के स्कीईंग संस्थान से स्कीईंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया, ततपश्चात गढवाल विश्वविद्यालय से स्काउट गाइड का कोर्स किया, एस एस बी राइफल्स शूटिंग ट्रेनिंग भी ली, मेरठ नेशनल एडवेंचर फाउडेंशन से एडवेंचर कोर्स किया।
आपका उत्तराखण्ड के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण योगदान था कि एक महिला होने के बावजूद आपने पर्वतरोहण जैसे क्षेत्र को चुना और इसे घर घर तक पहुचाया।
जब आप और बछेन्द्री पाल जी इंस्ट्रक्टर बन  एनआईएम पहुचे, तो वहां नेशनल एडवेंचर फाउडेंशन के डायरेक्टर ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह जी के आश्वाशन पर आप लोगो ने ही भागीरथी -सेवन सिस्टर्स एडवेंचर क्लब की शुरुआत की। आप लोगो की यह योजना प्रशिक्षित लड़कियो और महिलाओं की आर्थिक चिंताओ का ध्यान रखते हुए बनायीं गयी थी।
आप सात लड़किया चंद्रप्रभा ऐत्वाल, बछेंद्री पाल, आप(विजया पंत), आशा पंत, अनिता रेखी , उमा भट्ट और उत्तरा पंत हम सात लडकियां इस क्लब की कार्यकर्ता थीं।
शादी की बात की जाए तो शायद ही इतनी साधारण तरीके से किसी की शादी हुयी हो, मात्र दो अंगुठियो से आपकी शादी हुयी देहरादून के आर्य समाज मंदिर में। क्योकि आपका संकल्प था की दहेज़ नही देंगे। उस समय में जब बाहर शादी करने की सोच भी नही सकते थे तब आपने एक अन्य समाज में शादी की। शादी जिनसे हुयी कभी टाटा ग्रुप आपके पास एडवेंचर प्रशिक्षण हेतु आया था, उसी ग्रुप में आपकी मुलाकात मिस्टर तुली जी से हुयी जिन्होंने आपसे शादी के लिए अपनी इच्छा जाहिर की। आप ने जवाब में हां या न तो नही कहा लेकिन सारी बात माता-पिता के फैसले पर छोड़ दी। बछेन्द्री पाल जी व भाई बहनो के प्रयास से आप दोनों के परिवार शादी के लिए तैयार भी हो गए।
देशभर में लड़कियों के साथ मिलकर आपने सिग्नेचर कैंपेन चलाया था कि कोई भी दहेज नहीं देंगे। और ऐसा हुआ भी जो आपने स्वयं भी कर दिखाया।
आपकी सफलताएं:-
सबसे बडी सफलता रूद्र गेरा पीक के पास 21,300 मीटर ऊंचाई पर पहुँचने के रूप मे 1999 में मिली।
ठीक एक वर्ष बाद ही केदार डोम मे 22,400 मीटर की ऊंचाई पर पहुँचकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
आखिरी पर्वतारोहण लगभग 20,000 फीट तक की ऊंचाई पर जाना था।
1982 मे गंगोत्री से बद्रीनाथ तक कलिंदी पास होते हुए अपनी ट्रेकिंग पूरी की।
1985 में टिस्को ग्रेज्युएट ट्रेनीज के साथ उत्तरकाशी से केदारनाथ तक ट्रेकिंग की।
आपकी उपलब्धियाँ
1983 से 1985 तक सेवन सिस्टर्स क्लब की सचिव रहीं।
यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में बछेंद्री पाल और आपके बारे में भी पढाया जाता है।
रेडियो और टीवी पर कई प्रस्तुतियां दी।
वेस्ट बंगाल के हल्दिया पोर्ट के चर्च स्कूल में क्रीडा शिक्षिका के रूप मे काम किया।
1996 से 2001 तक उड़ीसा में पारादीप पोर्ट मे एढोक पर हिंदी शिक्षिका के रूप मे अध्यापन कार्य किया।
स्कूल व विश्वविद्यालय स्तर पर सामाजिक कार्यो के लिए अखिल भारतीय छात्र संघ द्वारा सम्मानित।
बतौर एथलीट कई पुरस्कार प्राप्त किए।
1994 मे मुम्बई व पुणे के एडवेंचर क्लब के साथ रॉक क्लाइंबिंग कार्यक्रम तैयार किया।
1982 से 1985 में इसी तरह का कार्यक्रम ओएनजीसी के बच्चों व कर्मचारियों के साथ भी चलाया।
इन संस्थानों में गेस्ट इंस्ट्रक्टर के रूप मे काम किया।
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339
www.khudeddandikanthi.in

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