ये कविता सुदेश भट्ट "दगड्या" जी की अपने ननिहाल गांव डिवरण (देवराना ) पर समर्पित है जरूर पढ़े.........
रौंत्यालु उल्यारु दीदों,
हपार भग्यान गांव च।
मेरी ब्वै कु मैत प्यारु,
मेरी नन्युं गांव च।
हरी भरी सारी यख,
यैथर पैथर गांव क।
झीलकंड बीटी दिखेणा,
सरा डिवरण गांव च।
मांजी ह्वे ग्या बुडड़ी मेरी,
मैत मैत बुल्दी च।
मेरी नन्युं गां बिना ब्वै,
आंसु रोज बगांदी च।
कचुंड कांडई सरा दिखेणु,
ताल कंडरा बौंसील।
धार मा बस्युं प्यारु,
मेरी नन्युं गांव च।
याद यै ग्या बचपन की,
गे छ्या ननी गांव मा।
ममा जी यै छ्या मी लेंण,
अदबाट सिंक्वाणी धार मा।
स्वर्ग से भी प्यारु मेकु,
हपार भग्यान गांव च।
मेरी ब्वै कु मैत प्यारु,
मेरी नन्युं.......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भट्ट(दगड्या)
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