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माटी के दीप

मित्रो इस बार आप सब से अनुरोध है चाइना की लड़ियों का बहिष्कार करे, उन गरीब मजदूरो के बारे मे सोचे जो रात भर जागकर मिट्टी के दीये बनाते है। इस दीवाली दीपो से रोशन करे घर आँगन को .
इसी विषय पर मेरी(रामेश्वरी 'नादान' की) ये नई रचना।

दीपावली की खुशी में
सोया नहीं कई रातो से
वो बना रहा है दीप
नन्हे-नन्हे हाथो से

मुस्कान बिखर जायेगी
नन्हे चेहरे पर किसी के
माटी के दीप खरीद लो
रंग भरे है खुशी के

सुगंध माटी की भरी
देश प्रेम भरा अपार
रोशन करो दीपो से
खुशियो भर त्योहार

चाइना को दिखानी है
हमें उसकी औकात
रोशन करेंगे दीपो से
दीवाली की रात

खुले आकाश में उड़कर
पक्षी देखो चहकते है
अपनी माटी के फूल
अपने देश में महकते है

रामेश्वरी(सुनीता नादान)

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