वा त्यार बान दिनभर
भुख तीस बैठीं च
सांकी सुकी ग्या बिचरी क
गली तीसन उबयीं च
हथ्यूं मां मेहंदी रचैकी
श्रृंगार खुब कर्युं च
त्यार बान दादा बौ
बिगरेली ब्योंली बंणी च
जरा भी फिकर ह्वैली
बगत पर घर यैली
आज किसा मा पव्वा ना दा
कुई नई निशाणी लैली
वा त्यार बान हे नरबै
भुख तीसी बैठीं च
त्वै कन नी फिकर भैजी
तेरी अपणी महफिल सजयीं च
ठ्यकों मा बैठीक त्यारु
स्वीच भीआफ कर्यूं च
नशा मा चुर भुनी
यांमा कुछ नी धर्युं च
वा बिचरी त्यार बान
भैर भितर कनी च
त्वै कन नी फिकर वा
जुगली जुनी क कनी च
वा तुमरी बान दिनभर
भुख तीस बैठीं च
परबात च दीदों
करवाचौथ कु त्योहार
लखांणु च सुदेश भट्ट
तुमकुन पैली यु रैबार
बगत पर घर पौंछी क
अपणी पुजा करै लेन
दोस्तु की महफिल
फिर कभी सजै लेन
वा तुमरी बान दिनभर
भुख तीसी बैठीं
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)
सबी दीदी भूल्युं भै बंधुओं तै करवाचौथ की शुभकामनाओ की दगड यु संदेश
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