एक चुभन एक सत्य वाकये पर आधारित यह कविता लिखने की प्रेरणा मिली बलोड़ि जी से जो काफी समय के पश्चात् अपने पुत्र को गाँव लेकर गए वहा अपने मकान के हालात देखे और बोल उठा देखो पापा का मकान गिर गया। बलोड़ि जी…
मेरु प्यारु उत्तराखण्ड, किलै हुयु व्हालु उतणदण्ड। चारो तरफ बांजी पुंगड़ी, अर उज्ड़या छन खण्ड। घर गांव छोड़ी की, पोड़्या छन निछन्द। खैति की सर्या ज्वनि, अर बुडेंदा फीर उत्तराखण्ड। बूढ़ बुडड़ी रै गेनी गांव म…
इस कविता को पढ़कर आपके आँखों के आंसू रुक नहीं पाएंगे इस रचना को पूरी जरुर पढ़े रचनाकार भाई सुनील भट्ट जी की इस कविता में जो दर्द है वो आपको अंदर तक झकझोर देगा एक बार रचना जरुर पढ़े "मेरी ब्वै(मा…
मेरी यह कविता एम्स अस्पताल में एक पांच वर्ष की छोटी सी बच्ची का ईलाज़ करवाने आये उस परिवार और उन जैसे और लोगो की सोच को समर्पित है किस तरह पाँच हज़ार का नाम सुनकर ब्रेन ट्यूमर का ईलाज़ करवाने से उन लोगो…
सुप्रभात सभी मित्रों को आज 02/05/2017, दगड़्यौं बुढ बुढ्यौं ख्याल रख्याँ ह्वाँ, कुछ लैन ददी (दादी) पर आज... "मेरी दादी" हे राम भगवान् , अछै, कख चली जांदू हैं इंसान। बुनै मेरी ददी(दादी) ब्व…
बौडी सकदी बौडी जा अपणी छान पटाल्युं मा बचपन फुक्यांणु दीदों हपार रुड्या बडांगु मा खंद्धार कुडी धै लगांणी द्यवता घिर्यां छन आग मा बुबा ददों की समळौंण फुकेंणी बुये क पर्या छंचल्या सब आग मा क्वांण मा छै…
ना सुख जांणी कबी दीदों रैंदा घाम बरखा बत्वांण्यु मा जेट की दुफरा मा कबी कबी सौंण की कुयेडी मा मन की खैरी पीडा अपंणी कबी नी जतांदा तुम सबुळ घंण तसला लेकी रात दिन मिस्यां तुम ना बगत पर कबी ध्याडी मिल्द…
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