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मेरी दादी

सुप्रभात सभी मित्रों को आज 02/05/2017,
दगड़्यौं बुढ बुढ्यौं ख्याल रख्याँ ह्वाँ,  कुछ लैन ददी (दादी)  पर आज...

"मेरी दादी"

हे राम भगवान् ,
अछै, कख चली जांदू हैं इंसान।

बुनै मेरी ददी(दादी) ब्वोदी छै,
पीड़ा मा कणौंदी कबर्यौं रोंदी बी छै।
बुबा रे म्यरा खुट्टा पट्टकै दे,
छुछा रे मेरू मुंडु दबै दे ।।

खांदी ह्वोंदी मीतैंई, दादी ब्वोदी छैई,
तमाखु पे पेई सर्या राति कटदी छैई।
अर फजल्येकी फिर से रक रक रक,
पुंगड़्यौं मा खट्ट कट्ट, सुपन्या रोप्वदी छैई ।
मेरी ददी ना सची, भौत भली छैई।।

दादी का हथ्यौं मा, भली रस्याण।
द्वी गफ्फा जरा बिन्ढी खयेंदू छौ,
जैदिन दादीन फाणु अर झंगोरू बणाण।
तैड़ू, गींठी च्यूँ की भुज्जी तवा मा लपटौंदी छैई,
पाणी कु बंठा मुंडा मा धैरी, तंगत्याट कैरि लौंदी छैई।।
स्वचदू कबर्यौं दादी बचीं होंदी इबारी,
सून्न नी प्वड़दी गौं मा हमरी चौक, डंड्याली।

दादी तेरू भलु मयालु पराण,
हमुन बी त तेरी उम्र मा आण।
सदनी कैल यख बच्यूँ रैण,
जन अयाँ वन्नी खाली कर्म लिजाण।
हे पितृ द्यव्तौं, तुम कृपा बणै रख्यान,
कुटुंब परिवार सुखी रख्यान,
सद्बुध्दि सब्तैं द्यान।।

स्वरचित/**सुनील भट्ट**
02/05/2017

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