गढ़वाली भाषा साहित्य में नन्दन राणा 'नवल' जी का चमकदार प्रवेश। कल २२/०४/२०२१ को चंद्रनगर रुद्रप्रयाग निवासी शिक्षक नन्दन राणा 'नवल' जी का गढ़वाली काव्यसंग्रह 'कुछ त हो' लोक…
नन्दन राणा के दोहे मन मन्दिर दीपक जले,आयें शुद्ध विचार। अंजुलि में गंगा बहे,जायें सागर पार।। मन-मकरंद का मधु बने,दिशि चहुँ हो व्यापार। एक छत्ते के मधुप सभी,करें सबका सत्कार।। तिनका-तिनका…
बड़ी मौ आपदा माँ कूड़ा हमारा टूट्या, अर बड़ी मौ का बण्यां वबरा बौन। नाज पाणी हमारू बौगी, क्विंटला-क्विंटल भौर्या तौंन। सदन्या छन सि ह्वन्या फ्वन्या, दल-बल बडू भारी तौंकू। नकली कार्ड मा अंत्यो…
मथा मन सिंधु, अबके बरस, निकला नवनीत, अबके बरस। मद,लोभ,मोह संग, सब क्रोध हिय का, छन गये छाँछ से, अबके बरस। गल जाये हर भेद, अबके बरस। तपाग्नि तपे देह, अबके बरस। बड़ी थी हस्ती, कुदरत …
चकबंदी जागर जागी जावा बीजी जावा,करी द्यावा चकबंदी। जुग-जुग गुणगान होलो,शिवभूमी का नंदी। मशाल जगणीं गरीब-क्रान्ति,अब होलू संगराम। भूमि का रागस माफिया,होलू काम तमाम। धरती माँ परसन्न होली,सज…
गजल द्युवा भैर-भैर जौग्या, भितर खाली अन्ध्यरा रैग्या। कनी बरखा बरखी आज, बादल सभी तिसळा रैग्या। आँखा ख्वौल्या निस न धरती, अर न ऐंच अगाश छौ। यु करी कैन यन जादू, हम यखुली-यखुली बीजा रैग्या। …
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