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Ga Le Mann गा ले मन

  गा ले मन

Ga Le Mann गा ले मन   गा ले मन कंटक पथ में भी |

    मिले सुख या व्यथा घनेरी ,
    मिले निशा या भोर सुनहरी |
    कभी शूल या कभी सुमन हों ,
    मुक्त रहो तुम या बन्धन हो ||

   मुदित रहो नित कर्मपथों पर ,
   चढ़ ही लोगे तुम रथ में भी |
    गा ले मन कंटक पथ में भी ||


   माना सबने सायक ताने ,
   या अपने भी थे अन्जाने |
   पर तूँने सब हैं पहिचाने ,
   कुछ खोकर भी जा ले पाने ||


   कभी मिलेगा दु:ख का तल तो,
   कभी चढ़ेगा सुख छत में भी |
   गा ले मन कंटक पथ में भी ||


    जगती की है रीत पुरानी ,
    राह दिखाता है अन्जानी |
    फिर गढ़ता है एक कहानी,
    नयनों को देता है पानी ||

   यहाँ संभल भरोसा करना ,
   होता असत  नित शपथ में भी |
   गा ले मन कंटक पथ में भी ||

  गा ले मन कंटक पथ में भी ||

    ©डाoविद्यासागर कापड़ी

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