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Hudu Ne Muflisi Me Dabish Di हुदू ने मुफ़्लिसी में दबिश

हुदू ने मुफ़्लिसी में दबिश दी मेरे बज़्म में
गुलिशतां था जो दरख्तों की तरह दिखने लगा
आज भी मेरा चमन हया में है मगर मदफूंन हूँ महजूज हूँ
सुकून है जन्नत नही नसीब में पर मसरूर हूँ मसगूल हूँ

आदमी

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