ए मेरे घनश्याम
1-ठोकर देता जब कभी ,तुरत पकड़ता हाथ |
तव लीला किसको पता ,हे जग दीनानाथ ||
2-उषा तुझसे ही बने ,और सुहानी शाम |
तुझसे ही ऋतुयें बनें ,ए मेरे घनश्याम ||
3-हृदय से है बन्दगी ,हृदय से प्रणाम |
और क्या अर्पण करूँ ,ए मेरे घनश्याम ||
4-माल सांसों की तेरी ,धड़कन तेरे नाम |
डोर थाम ले चल जहाँ ,ए मेरे घनश्याम ||
5-सुख तू ही देता हमैं ,दुख भी तेरे नाम |
फूल-शूल तेरे सभी ,ए मेरे घनश्याम ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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