होटले नौकरी
भांडों का ढाँगो मा ढक्याँ छां माँ जी
तन्दूरै की हाळी मा पक्यां छां माँ जी
छ्न्दा रौंत्याळा मुल्क छोड़ी रात-दिन
हम होटलों की खस्यों मा लुक्यां छां माँ जी।
बावन भाँति का ब्यंजन बणियाँ छाँ माँ जी
चाखी तक नी सकदा कैमरा लग्यां छां माँ जी
छन्दा दैह दूद कोदू कंडाळी छोड़ी सुबेर बिठि
औरों सणि खेलेकि अफु भुख्यां ही छाँ माँ जी।
गर्मी इतगा नंगा फर्श मा सियाँ छां माँ जी
मच्छरोंन खेकी हाथ ख्वटा उगायां छां माँ जी
छंदी शांत शीतल रात छोड़ि हम निरभागी
दिन दोफरा रोळा धौळा मा स्यां छां माँ जी।
आज क्वी बल बड़ा साहब आयन छां माँ जी
बल्दों जोड़ी सी सुबेर बिठि जोतियां छां माँ जी
छंदी मनखी ज्वेनि छोड़ी अजक्याळ रात भर
भेरू भूत पिचाक्स सी हम बिज्याँ छां माँ जी।
हम भोळ सुबेर घोर पेटियाँ छाँ माँ जी
गढ़वाळ एक्सप्रेस का टिकट लिन्यां छां माँ जी
छंदा मुल्क जौंला रौंला हम आज बिठि
अपणा मन मा सौं सुगन्ध खायाँ छां माँ जी।
कवि-विक्रम शाह (विक्की)
भांडों का ढाँगो मा ढक्याँ छां माँ जी
तन्दूरै की हाळी मा पक्यां छां माँ जी
छ्न्दा रौंत्याळा मुल्क छोड़ी रात-दिन
हम होटलों की खस्यों मा लुक्यां छां माँ जी।
बावन भाँति का ब्यंजन बणियाँ छाँ माँ जी
चाखी तक नी सकदा कैमरा लग्यां छां माँ जी
छन्दा दैह दूद कोदू कंडाळी छोड़ी सुबेर बिठि
औरों सणि खेलेकि अफु भुख्यां ही छाँ माँ जी।
गर्मी इतगा नंगा फर्श मा सियाँ छां माँ जी
मच्छरोंन खेकी हाथ ख्वटा उगायां छां माँ जी
छंदी शांत शीतल रात छोड़ि हम निरभागी
दिन दोफरा रोळा धौळा मा स्यां छां माँ जी।
आज क्वी बल बड़ा साहब आयन छां माँ जी
बल्दों जोड़ी सी सुबेर बिठि जोतियां छां माँ जी
छंदी मनखी ज्वेनि छोड़ी अजक्याळ रात भर
भेरू भूत पिचाक्स सी हम बिज्याँ छां माँ जी।
हम भोळ सुबेर घोर पेटियाँ छाँ माँ जी
गढ़वाळ एक्सप्रेस का टिकट लिन्यां छां माँ जी
छंदा मुल्क जौंला रौंला हम आज बिठि
अपणा मन मा सौं सुगन्ध खायाँ छां माँ जी।
कवि-विक्रम शाह (विक्की)
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