हरेला लोक पर्व की बधाई
बिन पौधों से बरसता नही ये मौसम न सावन में न भादो में,,
आवो श्रृंगार करें हम धर्ती माँ का कहीं पेड़ न रह जाये सिर्फ हमारी यादों में,,
चलों खुद की आँसुओं से ही सींचे प्राणदायनी पौधे हम,,
गिन गिन के लो सांसे,बिन पौधों के सांसे हो रही है कम,,
आवो धारा का श्रृंगार करें फल फूल का एक पौधे लगाएं हम,,
नभ चेतन में भावी जीवन में अमूल्य बृक्ष का दान करें हम,,
आये है जब इस थल में तो क्यों न एक नेक काम करें हम,,
बृक्ष तज के मरुस्थल हो चुकी माँ धर्ती का पुनः सम्मान करें हम,,
कोई जग में कोई मन में कोई आंगन में एक नेक पौधा जरूर लगाना,,
तृष्णा,फ़रेब,बैर,गरीबी दरिद्रता को मन,जग से दूर भागना,,
सर्वाधिकार सुरक्षित देवेश आदमी
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