आज वे पहाड़ की गाथा लिख कलम मेरी वू ढुंगो पर लगी चोट लिख कलम मेरी आज पहाड़ की वेदना लिख कलम मेरी यु बांजा पुंगड़ो की आस लिख कलम मेरी सूखा गदनो की प्यासी धरती की प्यास लिख कलम मेरी दानी आँख्यु की आस लिख …
मेरी कविता मेरी ज़ुबानी नौ मेरु अनोप सिंह नेगी(खुदेड़) जन्म दिल्ली प्रदेश मा लीनी (21 जुलाई 1984) पहली बार देवभूमि उत्तरखण्ड का दर्शन सन् 86 मा व्हेनि। बचपन बीती मेरु गाँव बजरखोड़ा। पट्टी - बिचला चौकोट,…
लिखुंगा कुछ ऐसे की दर्पण नया लेकिन परछाई पुरानी होगी। बदले चाहे ज़माने लेकिन मेरी कविताओं में बस पहाड़ो की कहानी होगी। जो बदल गए है, जो नही बदले है कोशिश उन्हें बदलने की होगी। पेड़ सूखकर भले ही दरख़्त हो…
बेबसी इंसान की वा हालात कैर दीन्द न त भूख लगदी न नींद। कख जी जौ, क्या जी करू, कनकै होलु रटण बस इखरी रैंद। जैका मुख मा नज़र जांद आश वेमा ही हूंद क्या पता वेमा ही कुई उपाय मिली जौ मन ई बुलन्द। राति का अ…
हे बुराँश आज तेरी भी कुई इज़्ज़त नि रै राज्य पुष्प व्हेकि भी तू बज़ारो मा बिकणु छै। जब तक तेरी कुई पूछ नि छै खुटो मुड़ मंदेणु रै आज पछ्याण तेरी बणिगि त लोगु का घरो मा सज्यू छै। आज गिलासु मा सज्यू छै जू ब…
याद वा पुराणि हैंसी त आंदी पर वो ख़ुशी नि मिल्दी, जो ख़ुशी तब मिल्दी छै जो हैंसी हम थै माँ-पिताजी हैसांदा छाया। हिटदु छौ मी लमडुदू भी छौ पर, अंगुली पकड़ी चलण सीखै जौ हाथुन आज भी वू हाथु थै थामी क…
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