तेरि दिनी वा समोंण मेरी अपणि माया कि कुट्यारि मा धेरि च बाटा मा खोललु अपणा जिकुडा कि गांठ ते तेरी याद मेरी वोख भेरि च!!! यनु ना सोचि कि परदेश जैकुणि मि त्वे तें बिसरि जोलु मेरू त...
मेरी आस भी तु ही छेई मेरी सांस भी तु ही छेई मेरी प्राणो से प्यारी मेरी ज्यु जान भी तु ही छेई!! मेरा दिन तु ही छेई मेरी रात छेई तु क्वि त्वे तक पंहुचु ना पाउ यनि मेरी आसमान भी तु ही छ...
पत्थरों से भी निकलते गीत हौसला गाने का होता है तभी , पत्थरों से भी निकलते गीत हैं | जो समझलैं ये भी दिए भगवान ने शूल से भी तो निकलती प्रीत है || नित चलाये जिसने तीखे वाण ही , उर समझता ही रहे वो म…
चलो गाँव होके आते हैं बुजुर्गों की खाली खोली में कुछ रात सोके आते हैं , चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं || बंजर पड़े सारे खेतों को अपने पसीने से सींचकर, मडुवा,झिंगोरा,गहत,भट्ट मिलकर बोके आत…
गीत हे वीणापति हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ | उर के गीतों का ही नित वंदन तुम्हें माँ || हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ || माँ तुम बसी हो लेखनी में जानता हूँ | सिर पर तेरा नित हाथ…
मधुशाला अरि के उर हो प्रतिशोध की, धधक रही बड़ी ज्वाला | उसको नीर बना सकती है, वाणी की ही मधुशाला || यदि कोई रखता हो उर में, गरल मिली थोड़ी हाला | मैं उसके हित…
पथ के पाथर पथ का पाथर कहाँ किसे कब , कहो तनिक छल पाता है | ठोकर देता तभी पराया, मीत पता चल पाता है || यदि राह पर सुमन केवल हों , सुख का भी आभास न हो | यदि बाधा ना बाँह प…
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