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Path Ke Patthar पथ के पाथर

  पथ के पाथर

पथ का पाथर कहाँ किसे कब  ,
        कहो तनिक छल पाता है |
ठोकर देता तभी पराया,
           मीत पता चल पाता है ||

यदि राह पर सुमन केवल हों  ,
       सुख का भी आभास न हो |
यदि बाधा ना बाँह पसारे  ,
         उर में कोई आस न हो  ||

पथ के रोड़े दर्शाते हैं  ,
      अरि की जो मुस्कान कुटिल |
कहते मोड़ राह को अपनी,
       पानी है तुझको मंजिल  ||

आनंदों की शुभ अनुभूति भी,
         शूल नहीं तो कब होती |
गन्तव्यों की खुशी राह पर,
        रोड़े हों तो तब होती ||



    ©डाoविद्यासागर कापड़ी

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