मेरी आस भी तु ही छेई
मेरी सांस भी तु ही छेई
मेरी प्राणो से प्यारी
मेरी ज्यु जान भी तु ही छेई!!
मेरा दिन तु ही छेई
मेरी रात छेई तु
क्वि त्वे तक पंहुचु ना पाउ
यनि मेरी आसमान भी तु ही छेई!
बसन्त का मैनो कि बसन्ती ऋतु छे तु
जेठा का मेनो कु तडतडु घाम भी तु ही छेई
मेरि आस भी...........
मेरी सांस भी...........तु ही छेई!!
क्वि बगत भी जिकुडा से तेरी याद नि जान्दि
मेरी सुबेर छे तु अर मेरी शाम भी तु ही छेई!!!
जिकुडी कु धकध्याट,आंख्यों की आस भी तु ही छेई
मेरा घोर कि शान अर जान भी तु ही छेई!!!
गलोड्यों की लस्याण,हंसी कु खिकत्याट,माया कु झमझयाट,ऊंठो की मुस्कान अर सोला गुणो की खान भी तु ही छेई!!
मेरी आस भी तु ही छेई
मेरी सांस भी तु ही छेई!!!!!
दीपेन्द्रा बिष्ट"दीपू"
ढमढमा चमोली गढवाल
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