चलो गाँव होके आते हैं
बुजुर्गों की खाली खोली में कुछ रात सोके आते हैं ,
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
बंजर पड़े सारे खेतों को अपने पसीने से सींचकर,
मडुवा,झिंगोरा,गहत,भट्ट मिलकर बोके आते हैं |
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
रोपेंगे नीबू,सेव,आड़ू और अखरोटों के पेड़ भी,
चलो साग सब्जियों के लिए कुछ खाद ढोके आते हैं |
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
परिस्थितियों वस छूटा है वो प्यारा सा पहाड़ जो ,
चलो गले उसके लिपटकर थोड़ा रोके आते हैं |
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
बुजुर्गों की खाली खोली में कुछ रात सोके आते हैं ,
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
बुजुर्गों की खाली खोली में कुछ रात सोके आते हैं ,
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
बंजर पड़े सारे खेतों को अपने पसीने से सींचकर,
मडुवा,झिंगोरा,गहत,भट्ट मिलकर बोके आते हैं |
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
रोपेंगे नीबू,सेव,आड़ू और अखरोटों के पेड़ भी,
चलो साग सब्जियों के लिए कुछ खाद ढोके आते हैं |
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
परिस्थितियों वस छूटा है वो प्यारा सा पहाड़ जो ,
चलो गले उसके लिपटकर थोड़ा रोके आते हैं |
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
बुजुर्गों की खाली खोली में कुछ रात सोके आते हैं ,
चलो रे चलो बच्चो अपने गाँव होके आते हैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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