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Geet He Veenapati गीत हे वीणापति

 गीत  हे वीणापति

हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ |
उर के गीतों का ही नित वंदन तुम्हें माँ ||
हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ ||

माँ तुम बसी हो लेखनी में जानता हूँ |
 सिर पर तेरा नित हाथ होगा मानता हूँ ||

करूँ भोर में स्मरण का चन्दन तुम्हें माँ |
हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ ||

माँ नित हरोगी ताप और संताप तुम ही |
मेरी कविता की भी बनोगी छाप तुम ही ||

अर्पित मेरे काव्य का सृजन तुम्हें माँ |
हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ ||

पग कुपथ से मोड़ देना यही विनय   है |
प्रवाहमय हो काव्य धार यही विजय है ||

अर्पित है हर मौन और गुंजन तुम्हें माँ |
हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ ||

उर के गीतों से ही नित वंदन तुम्हें माँ |
हे वीणापति,क्या करूँ अर्पन तुम्हें माँ ||


©डाoविद्यासागर कापड़ी
           27-6-2017

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