पत्थरों से भी निकलते गीत
हौसला गाने का होता है तभी ,
पत्थरों से भी निकलते गीत हैं |
जो समझलैं ये भी दिए भगवान ने
शूल से भी तो निकलती प्रीत है ||
नित चलाये जिसने तीखे वाण ही ,
उर समझता ही रहे वो मीत है ||
हो अँधेरी रात छाये मौन भी ,
पर समझलो है दिवाली,ईद है ||
वो हार को भी हरा सकते हैं जो ,
हौसला करते रहैं कि जीत है ||
ना दुखी करना हृदय को कष्ट में ,
कष्ट देना तो जगत की रीत है ||
हौसला गाने का होता है तभी ,
पत्थरों से भी निकलते गीत हैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
हौसला गाने का होता है तभी ,
पत्थरों से भी निकलते गीत हैं |
जो समझलैं ये भी दिए भगवान ने
शूल से भी तो निकलती प्रीत है ||
नित चलाये जिसने तीखे वाण ही ,
उर समझता ही रहे वो मीत है ||
हो अँधेरी रात छाये मौन भी ,
पर समझलो है दिवाली,ईद है ||
वो हार को भी हरा सकते हैं जो ,
हौसला करते रहैं कि जीत है ||
ना दुखी करना हृदय को कष्ट में ,
कष्ट देना तो जगत की रीत है ||
हौसला गाने का होता है तभी ,
पत्थरों से भी निकलते गीत हैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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