जयति जय भारती माते.......

जयति जय भारती माते ,
जयति जय भारती माते ।
जयति जय भारती माते,
जयति जय भारती माते।।
हो सुरों की पूजनीया माँ,
नरों की अर्चनीया हो ।
माँ जनती राम और मोहन,
जगत की वंदनीया हो ।।
ये धरा क्या,व्योम क्या माते,
तेरे ही गीत हैं गाते।
जयति जय भारती माते,
जयति जय भारती माते ।।
जयति जय भारती माते।
जयति जय भारती माते।।
तमस का नाश कर तूने,
जगत को पथ दिखाया है।
ये वसुधा है कुटुम्ब पावन,
सदा से ही सिखाया है ।।
ये लहू एक है मानव का,
सहोदर के सकल नाते।
जयति जय भारती माते,
जयति जय भारती माते।।
जयति जय भारती माते।
जयति जय भारती माते।।
माँ उतरती सुरसरी पावन,
सदा तेरे चरण धोती।
कालिन्दी के तट में मोहन की,
मातु लीला अमर होती ।।
सकल सुर निज देह तारण को,
तुम्हारी गोद में आते।
जयति जय भारती माते,
जयति जय भारती माते ।।
जयति जय भारती माते।
जयति जय भारती माते।।
ये ऋचायें वेद की सारी,
तुम्हारे गीत हैं गातीं।
अरे मानस और गीता में,
तेरे संगीत की बाती ।।
इन्हीं गीतों की धुन के वश,
जगत के लोग हैं आते ।
जयति जय भारती माते,
जयति जय भारती माते।।
जयति जय भारती माते।
जयति जय भारती माते।।
खेलती पावनी माटी में,
जनक की लाड़ली सीता।
रहे लव,कुश से बालों के,
उरों में शेर या चीता ।।
मधुमासों के सुमन सलोने,
तुझी से रूप हैं पाते ।
जयति जय भारती माते,
जयति जय भारती माते।।
जयति जय भारती माते।
जयति जय भारती माते।।
जयति जय भारती माते।
जयति जय भारती माते।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
0 टिप्पणियाँ
यदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026