यारो.............
हां
ये बहुत ही कठिन सी बला है यारो ,
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।
जिसका
बचपन कांटों में पला हो यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
वो
गम की नद हंस के पार करता है जो ,
जिन्दगी
के हर सांचे में ढला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
ढूंढो
ऐब तो हर किसी में होंगे यहां ,
कहो
कौन किसन की तरह भला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो।।
वो
छाछ भी तो फूंक-फूंककर पीता है ,
जिसका
मुंह कभी दूध से जला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
उजाला
तो धरा में वही कर गया सदा ,
वो
जो भी मोम की तरह गला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
जो
भी सीढ़ी में चढ़ने लगता है यहां ,
वही
अपने पड़ोसी को खला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
सूरज
की तरह ही चमका है वही यहां ,
जो
मंजिल की तरफ अकेला चला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
हृदय
जिसका होता है गुलाब की तरह ,
उसी
को तो सबने यहां छला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
किसी
की दुश्मनाई से कुछ नहीं होता ,
कहो
कभी लिखा किसी का टला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
मां
ने कभी दुआओं का बीज बोया था ।
आंगन
में खुशियों का पेड़ फला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
हां
ये बहुत ही कठिन सी बला है यारो ।
गम
पीना भी एक बड़ी कला है यारो ।।
©डा०विद्यासागर
कापड़ी
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