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Stri Jab Mulayam Roti Ban Jati Hai स्त्री जब मुलायम रोटी बन जाती है

स्त्री जब मुलायम रोटी बन जाती है

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आज रोटी बनाते हुए
ये खयाल आया
Stri Jab Mulayam Roti Ban Jati Hai   स्त्री जब मुलायम रोटी बन जाती है स्त्री रोटी सी है
जिसे बेला जाता है
समाज रूपी बेलन से
बेलन देता है आकार
और वो बेलन के मन मुताबिक
संस्कारो के आटे में लिपटी
परि धि में बँधी
ले लेती है आकार

मायके में एक तरफ़
अधकच्चा पकाकर उसे
भेज दिया जाता ससुराल
दूसरी तरफ़ पकने के लिय
वो फ़िर से होती तैयार
दूसरी तरफ़ पकने पर
रिश्तो की गर्मी से
वो फूल जाती है
बहू, पत्नी,माँ बनकर
मर्यादा की आग में
तपकर निखर जाती है

कभी कभी जाने अनजाने में
गर जल जाये ये रोटी
कोई नहीं छूता उसे
फेंक देते है एक तरफ़
बिना जाने ये
वो खुद जली नहीं
उसे जलाया गया है
किसी के हाथो ने

न जले वो तो
उसे खा लिया जाता है
वो हर रिश्ते की भूख मिटाती है
स्त्री जब मुलायम रोटी बन जाती है
स्त्री जब मुलायम रोटी बन जाती है


सर्वाधिकार सुरक्षित रामेश्वरी नादान

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