गीत
आई जाये गौं देखण ,गाड़ा पूँगा तीर |
पात में खाइ जालै भुला झिंगोरा की खीर ||
हिक-हिक लागली बाटुली,आली त्वैकै याद,
आलो तेरी जिबोड़ी में ,चुड़कानि को स्वाद |
भेटि जालै आमा-बुबु कै,ल्हि जालै आशीष,
ठण्डो पाणी पी धारूँ कै ,मिटा जालै तीस |
तू गौं को लाड़िलो चेलो ,पहाड़ों को वीर |
पात में खा जालै भुला,झिंगोरा की खीर ||
दियो जगा जालै भुला,द्यापतों का थान,
लै जालै तू खुशी खुशी नांगारा निशाान|
भगवती थानचढ़ालै,चूड़ि,बिंदी,चुनरी.|
ल्हि जालै कदुवा कांकाड़ा,झ्वाला भरी-भरी |
गौं की छू आत्मा त्वे मैं,गौं को तू शरीर |
पात में खा जालै भुला ,झिंगोरा की खीर ||
आई जाए गौं देखन,गाड़ा पूंगा तीर,
पात में खा जालै भुला झिंगोरा की खीर ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
आई जाये गौं देखण ,गाड़ा पूँगा तीर |
पात में खाइ जालै भुला झिंगोरा की खीर ||
हिक-हिक लागली बाटुली,आली त्वैकै याद,
आलो तेरी जिबोड़ी में ,चुड़कानि को स्वाद |
भेटि जालै आमा-बुबु कै,ल्हि जालै आशीष,
ठण्डो पाणी पी धारूँ कै ,मिटा जालै तीस |
तू गौं को लाड़िलो चेलो ,पहाड़ों को वीर |
पात में खा जालै भुला,झिंगोरा की खीर ||
दियो जगा जालै भुला,द्यापतों का थान,
लै जालै तू खुशी खुशी नांगारा निशाान|
भगवती थानचढ़ालै,चूड़ि,बिंदी,चुनरी.|
ल्हि जालै कदुवा कांकाड़ा,झ्वाला भरी-भरी |
गौं की छू आत्मा त्वे मैं,गौं को तू शरीर |
पात में खा जालै भुला ,झिंगोरा की खीर ||
आई जाए गौं देखन,गाड़ा पूंगा तीर,
पात में खा जालै भुला झिंगोरा की खीर ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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