लो आ गयी बारिश लो आ गयी बारिश लेकर तेरा पैगाम भीगती आंखो ने लिख दिया तेरा नाम तू भी आ जा बारिश करती बेचैन बादलो के संग बरस रहे नैन देख लूँ तुझे नैनो की बुझे प्यास बरसती बुन्दों संग तू आ जाये काश…
बरसती बुंदे सुहानी लगी टपकती छत बेगानी लगी दर्द हमारा बाँटे क्युं कोई दर्द ऐ दस्ता सबको एक कहानी लगी नादान
स्त्री जब मुलायम रोटी बन जाती है --------------------------------------- आज रोटी बनाते हुए ये खयाल आया स्त्री रोटी सी है जिसे बेला जाता है समाज रूपी बेलन से बेलन देता है आकार और वो बेलन के मन मुताबिक…
पुरुष पत्थर है ---------------------- पुरुष पत्थर है सच ही तो है ऐसा पत्थर जो ढाल बनकर खडा है अपनो के बीच चट्टान सी हिम्मत लिये परिवार की नीव को मजबूत आधार देता हुआ पिता ,भाई, पति रुप में खडा है रक्ष…
ये रात गहरी है चाँद बना प्रहरी है सो गया गाँव मेरा जो जाग रहा वो शहरी है सर्वाधिकार सुरक्षित सुनीता रामेश्वरी नादान
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